Page 6 - LESSON NOTES - ATMATRAN - 1
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या या - इन पंि तय म क व रवी नाथ ठाक ु र ई वर से ाथ ना कर रह ह क
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ह भु ! दुःख और क ट से मुझे बचा कर रखो, म तुमसे ऐसी कोई भी ाथ ना
नह ं कर रहा हँ । बि क म तो सफ तुमसे य चाहता हँ क तुम मुझे उन दुःख
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तकल फ को झेलने क शि त दो । क ट क समय म म कभी ना ड ँ और उनका
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सामना क ँ । दुःख क पीड़ा से दुःखी मेर मन को आप ह सला मत दो पर तु ह
भु ! मुझम इतना आ म व वास भर दो क म हर क ट पर जीत हा सल कर
सक ूँ । क ट म कह ं कोई सहायता करने वाला भी ना मले तो कोई बात नह ं
पर तु वैसी ि थ त म मेरा परा म कम नह ं होना चा हए । मुझे अगर इस ससार
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म हा न भी उठानी पड़े और लाभ से हमेशा वं चत ह रहना पड़े तो भी कोई बात
नह ं पर मेर मन क शि त का कभी नाश नह ं होना चा हए अथा त मेरा मन हर
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प रि थ त म आ म व वास से भरा रहना चा हए ।
मेरा ाण करो अनु दन तुम यह मेर ाथ ना नह ं
बस इतना होवे (क णायम)
तरने क हो शि त अनामय।
मेरा भार अगर लघु करक न दो सां वना नह ं सह ।
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कवल इतना रखना अनुनय-
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वहन कर सक ूँ इसको नभ य ।
नत शर होकर सुख क दन म
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