Page 8 - LESSON NOTES - ATMATRAN - 1
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नत  शर -  सर झुका कर
               दुःख-रा    - दुःख से भर  रात

                न खल - स पूण

               संशय – संदह
                             े



                                                                                                     े
                या या - इन पंि तय  म  क व रवी  नाथ ठाक ु र ई वर से  ाथ ना कर रह ह   क
                                                           ै
                 े
               ह  भु ! मेर  आपसे यह  ाथ ना नह ं ह  क आप   त दन मुझे भय से दूर रख ।
                       े
                                                                                            े
                                                                                                    े
               आप कवल मुझे  नरोग अथा त  व थ रख  ता क म  अपनी शि त क सहार इस
                                                              े
                                                                        े
               संसार  पी सागर को पार कर सक ूँ   । मेर क ट  क भार को भले ह  कम ना करो
                                                         े
                                                                                ै
               और न ह  मुझे तसल  दो । आपसे कवल इतनी  ाथ ना ह   क मेर अंदर  नभ यता
                                                                                         े
                                                   े
                                                                                                       े
               भरपूर डाल द  ता क म  सार  परशा नय  का डट कर सामना कर सक ूँ । सुख क
                                                       े
                दन  म  भी म  आपको एक  ण क  लए भी ना भूलूँ अथा त हर  ण आपको याद
               करता रह । दुःख से भर  रात म  भी अगर कोई मेर  मदद न कर तो भी मेर  भु
                          ं
                                                                                         े
                                                                                                     े
                          ू
               मेर मन म  आपक   त कोई संदह न हो इतनी मुझे शि त दना ।
                                                                                     े
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