Page 3 - LESSON NOTES - ATMATRAN - 1
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रवीं नाथ टगोर क मृ यु
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र व नाथ टगोर न अपन जीवन क अ तम सांस कोलक ा म 7 अग त 1941 म
ल थी । िजस व त इनका नधन हआ था इनक आयु 80 साल क थी और इनक
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नधन क साथ ह हम लोग ने एक महान क व को खो दया था।
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पाठ सार
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इस क वता क क व 'क वगु रवी नाथ ठाक ु र ' ह । इस क वता का बंगला से हंद
पांतरण आचाय हजkर साद ववेद जी ने कया ह । इस क वता म क वगु
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ई वर स अपन दुःख दद कम न करने को कह रह ह । वे उनसे दुःख दद को
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झेलने क शि त मांग रह ह । क वगु ई वर से ाथ ना कर रह ह क कसी
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भी प रि थ त म मेर मन म आपक त संदह न हो । क व रवी नाथ ठाक ु र
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ई वर से ाथ ना कर रह ह क ह भु ! दुःख और क ट स मुझे बचा कर रखो म
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तुमसे ऐसी कोई भी ाथ ना नह ं कर रहा हँ । बि क म तो सफ तुमसे य चाहता
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हँ क तुम मुझे उन दुःख तकल फ को झेलन क शि त दो । उन क ट क समय
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म म कभी ना ड ँ और उनका सामना क ँ । मुझम इतना आ म व वास भर दो
क म हर क ट पर जीत हा सल कर सक ूँ । मेर क ट क भार को भले ह कम ना
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करो और न ह मुझे तस ल दो । आपसे कवल इतनी ाथ ना ह क मेर अंदर
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नभ यता भरपूर डाल द ता क म सार परशा नय का डट कर सामना कर सक ूँ ।
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सुख क दन म भी म आपको एक ण क लए भी ना भूलूँ अथा त हर ण
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आपको याद करता रह । दुःख से भर रात म भी अगर कोई मेर मदद न कर तो
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भी मेर भु मेर मन म आपक त कोई संदह न हो इतनी मुझे शि त दना।
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