Page 5 - LESSON NOTES - ATMATRAN - 1
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कवल इतना हो (क णामय)
                 े
               कभी न  वपदा म  पाऊ भय ।
                                        ँ
               दुःख-ताप से  य थत  च  को न दो सां वना नह ं सह

               पर इतना होवे (क णामय)

               दुख को म  कर सक ूँ  सदा जय ।

               कोई कह ं सहायक न  मल          े

               तो अपना बल पौ ष न  हले;

               हा न उठानी पड़े जगत् म  लाभ अगर वंचना रह

               तो भी मन म  ना मानूँ  य ।।


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                वपदा -      वप   ,मुसीबत

               क णामय - दूसर  पर दया करने वाला

               दुःख-ताप - क ट क  पीड़ा

                य थत - दुःखी

                च  -     मन

               सां वना -  दलासा

               सहायक - मददगार

               पौ ष -   परा म

               वंचना -  वं चत

                य –   नाश
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