Page 2 - LESSON NOTES - ATMATRAN - 1
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               पालन पोषण  कया था  । रवीं नाथ    टगोर ने स ट जे वयर नामक  क ू ल से अपनी
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               शु आतh  श ा हा सल क   । रवीं नाथ टगोर क  पता उ ह  बै र टर बनाना चाहते
               थे और इस लए उ ह ने टगोर का दा खलk  1878  म  यू नव स ट  कॉलेज लंदन म
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               करवा  दया था  । क ु छ समय तक यहां पर कानूनी पढ़ाई करने क बाद रवी  नाथ
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               टगोर ने अपनी पढ़ाई को बीच म  छोड़ने का फसला  कया और वे बंगाल वापस आ
                                                                    ै
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               गए  । दरअसल रवीं नाथ टगोर क    च सा ह य म  काफ  थी और वे सा ह य क
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                  मे ह  अपना क रयर बनाना चाहते थ  । साल 1880  म  बंगाल आने क बाद
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               इ ह ने कई सार  क वताए,  कहा नयां और उप यास  का शत  कए और वे बंगाल
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               म    स ध हो गए  । साल 1883  म  रवी  नाथ टगोर ने मृणा लनी दवी से  ववाह
                                                                                               े
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                कया  था।  िजस  व त  इ ह ने  मृणा लनी  दवी  से   ववाह   कया  था  उस  समय
               मृणा लनी दवी क  आयु महज 10  साल थी  । इस  ववाह से इ ह  पांच ब चे हए थे,
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               िजनम   से  दो ब च   क   मौत  बचपन  म   ह   हो  गई  थी  ।  वह ं  साल  1902  म
               रवी  नाथ टगोर क  प नी मृणा लनी दवी का भी  नधन हो गया था।
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               मु य रचनाएं


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               रवीं नाथ टगोर  ने अपन  जीवन  काल  म   कई  सार    कताब ,  नाटक,   नबंध,  लघु
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                                                                                                   े
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                                      ं
               कथाएं और क वताए  लखh ह । अपने नाटक,   कताब  और लघु कथाओ क मा यम
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                                                                           े
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               से य गलत र  त- रवाज  क नकारा मक असर क बार म  लोग  को बताया करते थे
               रवी  नाथ टगोर  वारा  लखी गई लघु कथा ‘काबु लवाला’,  ‘  दता प न,  ‘अटो जू’,
                                                                                              z
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               ‘हमां त’  और ‘मुसलमा नर गो पो’  काफ    स ध ह  । जब क इनक  वारा  लखे
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               गए उप यास  म  ‘नौकादुबी’, ‘गोरा’, ‘चतुरगा’, ‘घार बायर’ और ‘जोगजोग’  व न भर
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               म     स ध  ह   ।  क वताए,  उप यास  और  लघु  कथाओ  को   लखने  क  अलावा
               रवीं नाथ टगोर को गीत  लखने का भी काफ  शौक था k
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