Page 7 - LESSON NOTES - MANUSHYATA - 2
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कहता ह क य द भाई ह भाई क दुःख व क ट का नाश नह ं करगा तो उसका
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जीना यथ ह य क मनु य वह कहलाता ह जो बुर समय म दूसर मनु य क
काम आता ह।
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चलो अभी ट माग म सहष खलते हए]
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वप , व न जो पड़ उ ह ढकलत हए।
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घट न हलमेल हाँ, बढ़ न भ नता कभी,
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अतक एक पंथ क सतक पंथ ह सभी।
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तभी समथ भाव ह क तारता हआ तर,
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वह मनु य ह क जो मनु य क लए मर।।
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अभी ट - इि छत
माग – रा ता सहष -अपनी खुशी से
वप , व न - संकट ,बाधाए
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अतक - तक से पर े