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               लगाम – घोड़े क े मुँह में लगाया जाने वाला वह ढाँिा क्जसक दोनों ओर रस्से या िमड़े क े
               तस्मे बँध रहते हैं, बागडोर
                        े
               विथमय – आश्ियथ से भरपूर, आश्ियथिककत

               व्याख्या –

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               िड्गससंह सुलतान को लने नहीं आएगा यह सोि क े बाबा भारती तनक्श्ित हो गए थे। एक
                                                                                  े
               शाम को बाबा भारती सुलतान की पीठ पर सवार होकर घूमने जा रह थे। इस समय उनकी
               आँिों में एक अनोिी िमक थी, और उनक मुि पर खुशी साफ झलक रही थी। वे कभी घोड़े
                                                         े
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                                                                                                 े
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               क े शरीर को दि रह थे और कभी उसक रग को तनहार कर अत्यचधक प्रसन्न हो रह थे।
                                                                                  े
                                                                   े
               अिानक एक ओर से आवाज़ आई कक बाबा इस बेिार गरीब दुियार की सुनते जाओ। उस
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                                                                                                    े
               आवाज़ में दद भारा था। उस आवाज को सुनकर बाबा ने घोड़े को रोक सलया। उन्होंने दिा
               कक एक अपाहहज एक वृक्ष की छाया में पड़ा दद से चिल्ला रहा था। बाबा क े पूछने पर कक
                                                              थ
               उसे तया तकलीफ है, उस अपाहहज ने हाथ जोड़कर कहा कक वह दुुःि का मारा व्यक्तत ह।
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               बाबा उस पर दया कर तयोंकक उसे रामावाला जाना था जो वहाँ से तीन मील दूर था। उसने
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                                                                                     े
               बाबा से प्राथथना की कक वे उसे घोड़े पर िढ़ा लें, भगवान ् उनका भला करगा। बाबा क े पूछने
                                                                                           थ
               पर कक उसका रामावाला कौन है, उस अपाहहज ने बताया कक रामावाला क े दुगादि वैद्य
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                                   ैं
               उसक सौतेल भाई ह। बाबा भारती भी उसकी बात सुन कर घोड़े से उतर गए और अपाहहज
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                                                                                े
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               को घोड़े पर सवार कर हदया। वे स्वयं घोड़े की लगाम पकड़कर धीर-धीर िलने लग। अिानक
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                                                         े
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               उन्ह एक झटका-सा लगा और लगाम उनक हाथ से छ ू ट गई। जब उन्होंने दिा कक अपाहहज
                                                                                           े
               घोड़े की पीठ पर तनकर बैठा है और घोड़े को दौड़ाए सलए जा रहा है, तब उनक आश्ियथ का
               हठकाना न रहा। उनक मुि से भय, आश्ियथ और तनराशा से समली-झूली हई एक िीि तनकल
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                                                                                       ु
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               गई। वह अपाहहज कोई और नहीं डाक ू  िड्गससंह ही था। बाबा भारती सब क ु छ दिकर क ु छ
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               दर तक िुप रह और क ु छ समय बाद क ु छ तनश्िय करक पूर बल से चिल्लाकर िड्गससंह को
                                                                      े
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               रुकने क े सलए कहने लग।
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               Learning outcome :
                   1-  जीव- जतुओं क प्रतत स्नेह और सवा का भाव उत्पन्न होना
                              ं
                                                        े
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                   2-  भगवान क प्रतत श्रद्धा होना
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                   3-  दीन दुखियों की सवा और सहयोग करना
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                   4-  छल–कपट न करना
                   5-  लोगों पर ववश्वास करना
                                     ें
                  6- हार की जीत म नैततक जीत को समझना
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                  7- अपने क्जंदगी म ककसी को धोिा नहीं दना ।
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                                                  ें
                  8- जो हम पर ववश्वास कर उन्ह धोिा नहीं दना ।
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                                                                े
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