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र्ब्दार्श –

               आनिंद – खुशी
               भगित – परमेश्वर, भगवान

               भजन – पूजा, उपासना
               अपशण – दान, प्रदान, बसलदान

               बलिान – शक्ततशाली, हष्टपुष्ट, बलशाली
                                                                     ं
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               खरहरा – लोह से बनाई जाने वाली िौकोर आकार की कघी क्जससे घोड़े क े शरीर की धूल
               साफ़ की जाती है
               माल – क्रय-ववक्रय की वस्तुए  ँ

               असबाब – सामान एवं सामग्री, माल एवं संपवि
               घृणा – नफ़रत

               भ्ािंतत-सी – संदह, संशय, शक, भ्र्म
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               लट्ट ू – मोहहत

               घटा – बादल
               सिंध्या – शाम

               चैन – आराम

               व्याख्या –
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                लिक बताते हैं कक क्जस तरह माँ को अपने बेट को दिकर खुशी होती है और ककसान को
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               अपने फसल से भर लहलहाते िेत दिकर जो आनंद आता है, वही आनंद व ्  खुशी बाबा
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               भारती को अपना घोड़ा दिकर होती थी। बाबा भारती का भगवान ्  का भजन करने क े बाद
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               जो समय बिता था, वह समय उनक घोड़े को समवपथत हो जाता। अथाथत पूजा पाठ क े अलावा
               सारा समय बाबा भारती अपने घोड़े क े साथ ही गुजारते थे। बाबा भारती का वह घोड़ा बहत
                                                                                                      ु
               सुदर था और साथ ही साथ बहतशक्ततशाली भी था। उस घोड़े क े जैसा कोई दूसरा घोड़ा सार
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               इलाक में नहीं था। बाबा भारती ने उसका नाम सुलतान रिा था, वे अपने हाथों से ही अपने
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               घोड़े की क ँ घी भी करते थे, वे स्वयं ही उसे दाना खिलाते और उसको दि-दिकर ही िुश
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