Page 6 - LN. -SHUKRA TARE KE SAMAN-2
P. 6
ु
मील चलते र्थे। रोज़-रोज़का यह क्रम लंबे समय तक चला। कल नमलाकर इसका जो
े
ू
प्रनतकल प्रभाव पडा, उनकी नबना समय की मृत्यु क कारिों में वह एक कारि
माना जा सकता है। लेखक कहता है कक महादेव की मौत का घाव गांधीजी क कदल
े
े
े
में उनक जीते जी बना ही रहा। वे भतृषहरर क भजन की यह पंनक्त हमेशा दोहराते
रहे: ‘ए र जखम जोगे ननह जशे’- यह घाव कभी योग से भरगा नहीं। बहुत सालों क
े
े
े
बाद भी जब गांधीजी को प्यारलाल जी से कछ कहना होता, और गांधीजी उनको
ु
े
े
‘
बुलाते तो उस समय भी अचानक उनक मुाँह से महादेव’ ही ननकलता ।

