Page 3 - LN. -SHUKRA TARE KE SAMAN-2
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               महादेव एक कोने में बैठ-बैठ अपनी लम्बी नलखावट में सारी चचाष को नलखते रहते
               र्थे। महादेव जी का कायष सम्पूिष ऱूप से ननपुि होता र्था उनक कायष में भूल का कोई
                                                                                     े

               स्र्थान नहीं होता र्था। लेखक कहता है कक गांधीजी हमेशा मुलाकात क नलए आए
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               हुए लोगों से कहते र्थे कक उन्हें अपना लेख तैयार करने से पहले महादेव क नलखे
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               ‘नोट’  क सार्थ र्थोडा नमलान कर लेना र्था ,  इतना सुनते ही लोग दााँतों अाँगुली

               दबाकर रह जाते र्थे। लुई कफशर और गुंर्थर क समान उत्तम गुिों से युक्त लेखक
                                                                   े

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               अपनी रटप्पनियों का नमलान पहले महादेव की रटप्पनियों क सार्थ करक उन्हें
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               सुधार लेते र्थे उसक बाद ही गांधीजी क पास ले जाते र्थे। लेखक कहता है कक
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               सानहनत्यक पुस्तकों की तरह ही महादेव वतषमान राजनीनतकन प्रवाहों और घटनाओं


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               से संबंनधत अब तक की जानकारी वाली पुस्तक भी पढते रहते र्थे। हहदुस्तान से

               संबंनधत देश-नवदेश की ताज़ी-से-ताज़ी राजनीनतक गनतनवनधयों और चचाषओं की


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               नयी-से-नयी जानकारी उनक पास नमल सकती र्थी। लेखक कहता है कक या तो


               महादेव सभाओं में, कमेरटयों की बैठकों में या दौडती रलगानडयों क नडब्बों में ऊपर
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               की बर्थष पर बैठकर ,  ठस-ठसकर भर अपने बडेऺ-बडेऺ झोलों में रखे ताज़े-से-ताज़े
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               समाचार-पत्र,  मानसक-पत्र और पुस्तक पढते रहते ,  अर्थवा  ‘यंग इनडया ’  और
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               ‘नवजीवन’ क नलए लेख नलखते रहते। लगातार चलने वाली यात्राओं , हर स्टशन
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               पर दशषनों क नलए इकठॎठा    हुई जनता क नवशाल समुदायों ,  सभाओं,  मुलाकातों,

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               बैठकों, चचाषओं और बातचीतों क बीच वे स्वयं कब खाते, कब नहाते, कब सोते या
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