Page 4 - LN. -SHUKRA TARE KE SAMAN-2
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कब अपनी हाज़तें रणा  करते, ककसी को इसका कोई पता नहीं चल पाता। लेखक



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               कहता है कक महादेव की एक खास बात यह र्थी कक वे एक घंट में चार घंटों क काम
               ननपटा देते र्थे। काम में रात और कदन क बीच कोई फक शायद ही कभी रहता हो।
                                                                              ष
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               उनकी एक और खानसयत यह र्थी कक वे सूत भी बहुत सुंदर कातते र्थे। अपनी इतनी


               सारी व्यस्तताओं क बीच भी वे कातना कभी चूकते नहीं र्थे। सूत कातने क नलए वे
                                                                                                    े
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               समय ननकाल ही लेते र्थे। लेखक कहता है कक नजस तरह नबहार और उत्तर प्रदेश क
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                                                                                 े
               हजारों मील लंबे मैदान गंगा, यमुना और दूसरी नकदयों क परम उपकारी, सोने की


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               कीमत वाले कीचड क बने हैं। यकद कोई इन मैदानों क ककनार सौ-सौ कोस भी चल
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               लेगा तो भी रास्ते में सुपारी फोडने लायक एक पत्र्थर भी कहीं नहीं नमलेगा। इसी


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               तरह महादेव क संपक में आने वाले ककसी भी व्यनक्त को ठस या ठोकर की बात तो
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                                                                                                   े
               दूर रही,  खुरदरी नमट्टी या ककरी भी कभी नहीं चुभती र्थी                  ,  यह उनक कोमल
                                                 ं

                                                                                       े
                                                                                                    े
               स्वभाव का ही पररिाम र्था। लेखक कहता है कक महादेव जी क स्वभाव क कारि
               उनसे नमलने वाले व्यनक्त उनसे प्रभानवत हुए नबना नहीं रह पाते र्थे। लेखक कहता है


               कक उनक स्वाभाव  प्रभानवत हुए व्यनक्त कई कदनों तक उनक बार में ही बातें करते
                                                                                          े
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               रहते र्थे। महादेव का पूरा जीवन और उनक सार कामकाज गांधीजी क सार्थ इस
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               तरह से नमल गए र्थे कक गांधीजी से अलग करक अकले उनकी कोई कल्पना ही नहीं
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               की जा सकती र्थी। महादेव और गांधीजी इस तरह हो गए र्थे जैसे नसक्क क दो पहलु।
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               कामकाज की लगातार व्यस्त रहते हुए भी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता, कक वे
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