Page 1 - LN. -SHUKRA TARE KE SAMAN-2
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SAI INTERNATIONAL SCHOOL
CLASS- IX- SLRC
nd
2 LANGUAGE- HINDI
LESSON NOTE-2
शीषषक- शुक्रतार क समान (स्वामी आनंद)
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गांधीजी क पास आने ……………………………….. महादेव ’ ही
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ननकलता ।
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लेखक कहता है कक गांधीजी क पास आने क पहले महादेव ने -अपने नवद्यार्थी जीवन
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में सरकार क अनुवाद-नवभाग में नौकरी की र्थी। नरहरर भाई उनक घननष्ट नमत्र र्थे।
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दोनों ने एक सार्थ वकालत की पढाई की र्थी। दोनों ने अहमदाबाद में वकालत भी
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सार्थ-सार्थ ही शुऱू की र्थी। लेखक कहता है कक वकालत क पेशे में आमतौर पर काले
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को सफद और सफद को काला करना होता है। कहने का तात्पयष है कक वकालत ने
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झूठ को सच और सच को झूठ करना होता है। सानहत्य और संस्कार क सार्थ इसका
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कोई संबंध नहीं रहता। लेककन इन दोनों ने तो उसी समय से टगोर, शरदचंद्र आकद
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क सानहत्य को उलटना-पुलटना शुऱू कर कदया र्था। ‘नचत्रांगदा’ कच-देवयानी की
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कर्था पर टगोर द्वारा रनचत ‘नवदाई का अनभशाप’ शीषषक नारटका, ‘शरद बाबू की
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कहाननयााँ’ आकद अनुवाद उस समय की उनकी सानहनत्यक गनतनवनधयों की देन हैं।
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लेखक कहता है कक भारत में महादेव क अक्षरों का कोई मुकाबला नहीं कर सकता
र्था, कोई भी महादेव की तरह सुन्दर नलखावट में नहीं नलख सकता र्था। यहााँ तक