Page 5 - Microsoft Word - CH-2 SIKTASETU NOTES
P. 5

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           सरलाथ : - य द िलिप अ र ान िवना कवल तप या से िव ा त हार वश म  हो जाएगी
                                                                    े
                                                                           े
           , उसी  कार मेरा यह पुल िभ हो सकता है ( कवल रत से बन जाएगा) |
           7-
























           श दाथ  – स वैल यम् – ल ापूव क ! , आ मगतम् – मन म  , भ पु ष: - स न ,
                                                                                               े
           अिधि पित – आ ेप लगाना , वैदु यम् – िव ता , अवा ुम् –  ा  करन क  ,
           अिभलषािभ: - इ छा कर रहा  ँ , भगव या: - देवी क  , शारदाया – शारदा का ,

           अवमानना – अपमान , पु षाथ  – मेहनत , ल यं – उ े य ,  काशम् –  कट  प से ,
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           भो नर म! – हे महाप ष , उ मीिलतं – खोल  दए है ,  यतमानो –  य  करता  आ
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                                                                               े
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           , िस ािभरव – रत से ही, सेतुिनमा ण यासम् – पुल बनान का  य , त ददानीम् – तो
           अब
           सरलाथ : - ( ल ापूव क अपने मन म )

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           तपोद : - अर ! यह स न मुझे ल य करक आ ेप लगा रहा हे | िन य ही म
           स यता देख रहा  ँ | म  िबना अ र  ान से ही िव ता  ा  करना चाहता  ँ | यह तो
                                                          ु
           देवी सर वती का अपमान है | मुझे गु कल जाकर ही िव ा अ ययन करना चािहए |
           मेहनत से ल  क   ाि  स भव है |

           ( कट  प से )
                                                                                        े
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           हे  े  पु ष ! मै नह  जानता क  आप कौन है ?  क त आपने मेर न  खोल  दए |
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           तप या मा  से ही िव ा को  ा  करन का  य  करता  आ म  भी रत से ही पुल
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           बनान का  यास कर रहा था, तो अब म  िव ा  ा  करन क िलए गु कल जाता  ँ |
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           (ऐसा बोल क वह  णाम करता  आ चला जाता है |
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