Page 5 - Microsoft Word - CH-2 SIKTASETU NOTES
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सरलाथ : - य द िलिप अ र ान िवना कवल तप या से िव ा त हार वश म हो जाएगी
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, उसी कार मेरा यह पुल िभ हो सकता है ( कवल रत से बन जाएगा) |
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श दाथ – स वैल यम् – ल ापूव क ! , आ मगतम् – मन म , भ पु ष: - स न ,
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अिधि पित – आ ेप लगाना , वैदु यम् – िव ता , अवा ुम् – ा करन क ,
अिभलषािभ: - इ छा कर रहा ँ , भगव या: - देवी क , शारदाया – शारदा का ,
अवमानना – अपमान , पु षाथ – मेहनत , ल यं – उ े य , काशम् – कट प से ,
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भो नर म! – हे महाप ष , उ मीिलतं – खोल दए है , यतमानो – य करता आ
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, िस ािभरव – रत से ही, सेतुिनमा ण यासम् – पुल बनान का य , त ददानीम् – तो
अब
सरलाथ : - ( ल ापूव क अपने मन म )
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तपोद : - अर ! यह स न मुझे ल य करक आ ेप लगा रहा हे | िन य ही म
स यता देख रहा ँ | म िबना अ र ान से ही िव ता ा करना चाहता ँ | यह तो
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देवी सर वती का अपमान है | मुझे गु कल जाकर ही िव ा अ ययन करना चािहए |
मेहनत से ल क ाि स भव है |
( कट प से )
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हे े पु ष ! मै नह जानता क आप कौन है ? क त आपने मेर न खोल दए |
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तप या मा से ही िव ा को ा करन का य करता आ म भी रत से ही पुल
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बनान का यास कर रहा था, तो अब म िव ा ा करन क िलए गु कल जाता ँ |
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(ऐसा बोल क वह णाम करता आ चला जाता है |
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