Page 2 - Microsoft Word - CH-2 SIKTASETU NOTES
P. 2

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                                                                      ु
           सरलाथ : - व   तथा आभूषण  से सुशोिभत  क त िव ाहीन मन य घर पर या सभा म
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           उसी  कार सुशोिभत नह  होता है िजस  कार मिण से रिहत साँप होत है/ शोभा नह
               े
           पात है |

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           श दाथ  – माग  ा त:  - पथ  : , उपैित – आ जाता है , वरम –  े  ,  ांत  –
           गलत / भटका  आ , तप य या – तप या से , माग  ा त: - रा ता भुला  आ ,
                                                                                े
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           अवा ुम् –  ा  कन क िलए ,  जलो छलन विन: - जल क उछलने  क आवाज,
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           क लोलो छलन विन: - तरग  क उछलन  क  विन ,                                   - बड़ी मछली, मकरो –
                                                                                        े
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                                                                                                     ु
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           मगरम छ , भवेत – हो , कवा णम् – करत  ए , सहासम् – हँसत  ए ,  कत: -
           कहाँ से, उपैित –  ा  करता है / आजाता है , तावत् – तो ,सहासम् – हँसकर ,
                                           े
           िवमृ य – सोच िवचार करक |

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           सरलाथ : -( कछ सोच िवचार करक ) ठीक है , इससे  या ?  दन म  पथ   शाम्
           तक  य द घर आता है वह भी  े  है  | तववह भटका  आ माना नह  माना जाता है
                                                    े
           | अब मे तप यासे िव ा  ा  करन म  लग जाता  ँ |
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           (जल क उछलन क   विन सुनाई देती है ) अर ! यह तरग  क उछलन क   विन कहाँ
           से ? बड़ी मछली, अथवा मगरम छ हो | तो देखता  ँ |

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                                                                                                 े
           ( एक पु ष को बालू से पुल क िनमाण का  यास करता  आ देखकर हँसत  ए | )


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