Page 4 - L.N-Jhanshi ki Rani-2
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अग्रज ं द्वारा भारत क अपन कब्ज म करत जान स ल ग ं क मन म गहरा र ष था A
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झ पलड़य ं म रहन वाल ं वह महल ं म रहन वाल सभी कष्ट पण जीवन झल रह थ A वीर
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सलनक ं क हृदय म अपन पवज ं का अलभमान था A अग्रज ं स टक्कर लन हत नाना दद पar
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और पशवा सभी प्रकार क साधन जटान म लग थ A इस समय ही झासी की रानी लक्ष्ीबाई
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न भी रणचडी का ऱूप धारण कर ठान ललया था लक अग्रज ं क मात दनी ह A इसी हत
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इन् ंन ल ग ं क यद्ध म बढ़-चढ़कर भाग ysus ds fy, प्रररत लकया A ल ग ं न सप्त ह्रदय म
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स्वतत्रता की लचगारी सलग आई A dई ल ग भी उनक साथ लमलकर अग्रज ं का सफाया करन
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हत तयार थ A हमन यह कहानी बदलखड क ल क गायक ं क मह स सनी थी लक लक्ष्ी
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बाई परुष ं की भालत वीरता स लड़ी A
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रानी लक्ष्ीबाई क ललकार न पर पर भारत म ऻृालत की ज्वाला भड़क उठी A इसम महल ं
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और झ पलड़य ं म रहन वाल सभी ल ग ं न बढ़ चढ़कर भाग ललया A यह स्वतत्रता उन् ंन
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अतमन म भड़की थी क् ंलक सभी अग्रज ं क अत्याचार ं स दखी थ A झासी क बाद लदल्ली
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]लखनऊ ]मरठ ]कानपर और घटना की ऻृालत की लहर दौड़ गई A जबलपर और क ल्हापर
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म भी हलचल हुई A चार ं ओर क ल ग सचत ह उठ A यह कहानी हमन बदलखड क ल ग
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गाय ंक मह स सना था लक 1857 की ऻृालत म अग्रज ं क लवरुद्ध रानी झासी न बढ़ चढ़कर
भाग ललया था A
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bl dkO;ka’k म बताया गया ह लक इस सग्राम म अनक वीर ं न अपना बललदान लदया A
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इसम प्रमख Fks /kaq/wkiar] rk¡R;k Vksis] अजीमल्ला खा ]अहमदशाह मौलवी ठाकर ]कमार
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लसह ]आलद भारतीय इलतहास म इन वीर ं क नाम सदा अमर रहग A आज शायद उनकी दश
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हत कबानी जeZ म कहलाए ललकन उनका बललदान दश हत ही था A बदलखड क ल क
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गायक ं क मह स हमन यह कहानी सनी थी लक झासी की रानी लक्ष्ीबाई न अग्रज ं का
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डटकर मकाबला लकया A
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इस काव्ाश म कलव न झासी क मदान का वणन लकया ह A लक अग्रज ं न जब भारत की
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अनक ररयासत ं पर कब्जा कर ललया त अब वह झासी पर कब्जा करना चाहत थ A रानी