Page 3 - L.N-Jhanshi ki Rani-2
P. 3
tqeZ& vijk/k
dqjckuh& cfynku
cstkj& ijs’kku
fo”keosnuk& cgqr nw[k
otzfuikr&ladV
fclkr&rkdr
dkyh ?kVk&foifRr
ykokfjl& ftldk dksbZ mRrjkf/k dkjh u gks
Page 73 to77
Lkkjka’k
ें
े
ं
्
े
े
ु
े
उनकी अदभत प्रलतभा क चच उस समय कई राज् ं म थ । वहीं झासी क महाराज
गगा धर राव न वलकर क साथ लववाह क बाद व रानी लक्ष्ीबाई कहलाईं और महाराज
े
े
े
े
ं
े
की मौत क बाद उन् ंन एक कशल शासक की तरह झासी का राज-पाठ सभाला और
ु
े
ं
े
ं
े
े
ु
े
े
अपन राज् क बचान क ललए व अपन जीवन क आफ्टखरी क्षण तक दश्मन ं स लड़ती रहीं ।
े
े
े
ैं
े
े
वहीं उनकी वीरता क लकस्स आज भी मशऺूर ह ।
लहन्दी सालहत्य की मशऺूर कलवलयत्रÈ न अपनी झासी की रानी कलवता क माध्यम स े
ाँ
े
े
वीरागना रानी लक्ष्ीबाई क अदभत साहस और पराऻृम की वीरगाथा बतान की क लशश
ं
े
े
ु
्
ै
की ह ।
े
उन् ंन लजसतरह स झासी की रानी क साहस शफ्टि और पराऻृम क इ सकलवता क
े
े
े
ं
ै
ं
े
ैं
माध्यम स बताया ह व काफी प्रशसनीय ह A
O;k[;k&