Page 2 - L N
P. 2

ण
                 ें
               म जाकर उन पर प्रहार करता और नहरोंनालों आदद को पार करता हआ सरपट अथात बहत                   -
                                                                                  ु
                                                                                                      ु
                                                                                       े
                                       ें
                                                  े
                                                                                           े
               तेज गतत से बाधाओं म फाँसने क बाद भी िह तनकल जाता ।युद्ध क क्षत्र म ऐसा कोई
                                                                                               ें
               स्थान नही था जहा पर चेतक ने अपने शत्रुओं पर प्रहार न ककया हो। िह ककसी एक स्थान
                                  ँ
                          ं
                                                                        े
                                                                                                       ँ
                                                                                   ँ
                                                                                                          े
                                      े
                                    ै
               पर ददखता तो पर जस ही शत्रु उस पर आक्रमण करने क सलए िहा पहँचते तो िह िहा स
                                                                                       ु
                                                                                              ें
               तुरत गायब हो जाता कफर िह कही दूसरी जगह ददखता। ठीक उसी प्रकार बाद म िहाँ से भी
                                                 ं
                  ं
               गायब हो जाता। अतः िह युद्ध क सभी स्थलों पर अपनी िीरता का परचम लहराता था ।
                                                 े
                                         ँ
                                                 े
               िह नदी की लहरों की भातत आग बढ़ता गया। िह जहा भी जाता क ु छ क्षण क सलए रुक
                                                                                               े
                                                                        ँ
                                                                                                   े
               जाता कफर अचानक विकराल, बबजली की चमक की तरह बादल का ऱूप धारण करक अपने
               दुश्मनों पर प्रहार करता ।घोडे की टापों स दुश्मन पूरी तरह स घायल हो गए। उनक भाल
                                                         े
                                                                              े
                                                                                                    े
                                                                                                          े
               और तरकस सभी ज़मीन पर पडे थे। चेतक की िीरता का ऐसा पराक्रम दखकर बैरी दल दग
                                                                                                        ं
                                                                                       े
               रह गया ।
               1-रण– बीच चौकडी भर-भरकर
               चेतक बन गया ननराला था।
                             े
               राणा प्रताप क घोडे से
               पड गया हवा को पाला था।
                                         े
               शब्दाथण : रण – युद्ध क्षत्र । चौकडी – छलांग ।
                                           ँ
               व्याख्या  –  प्रस्तुत  पजक्तया  श्यामनारायण  पाण्डेय  द्िारा  रगचत  ‘चेतक  की  िीरता’  नामक
                                     ं
                                                 ं
                                                          ें
                                   ै
               कविता स उद्धृत ह । कवि इन पजक्तयों म चेतक की िीरता का िणणन करते हए यह कहते
                         े
                                                                                              ु
                                                ें
                                     े
                                                                             ं
                                         ै
               ह  कक  चेतक  युद्ध  क  मदान  म  चौकडी  भरकर  अथिा  छलाग  लगाकर  अपनी  िीरता  को
                 ैं
                                                                          ै
                         ै
                               े
                                         े
               ददखाता ह, उसक चलने क तीव्र गतत से ऐसा प्रतीत होता ह जैसे मानो िह हिा से बात कर
                                                                                                     ें
               रहा हो अथिा हिा से सामना कर रहा हो।

               2-गगरता न कभी चेतक तन पर
               राणा प्रताप का कोडा था।
               वह दौड रहा अरर-मस्तक पर
               या आसमान का घोडा था ।
               शब्दाथण : तन -शरीर । अरर-शत्रु ।
                                                                         े
                                       ैं
               व्याख्या- कवि कहते ह कक राणा प्रताप का कोडा चेतक क तन पर कभी भी नहीं गगरता
               था, क्योंकक िह इतना समझदार था कक अपने स्िामी की आज्ञा को भली-भाँतत समझ जाता
                                                                               ै
                                                                                                        े
                                                         े
                                े
               था। िह शत्रुओं क मस्तक पर इस तरह स आक्रमण करता था जस मानो कोई आसमान स
                                                                                 े
                                                                      े
                                                  ण
                                                                                     े
               घोडा जमीन पर उतर आया हो अथात िह बहत तेजी स अपने शत्रुओं क ससर पर प्रहार
                                                            ु
               करता था।
   1   2   3   4