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SAI INTERNATIONAL SCHOOL


                                                         SHS


                                                   GRADE – VI


                                                ND
                                              2  LANG. (HINDI)


                            पाठ -चतक की वीरता
                                  े


                   कवव&श्यामनरायण पाण्डेय


                  Lesson Notes  -


                   •  Learning objective &
                                                                                                        ें
                     1.छात्रों को चेतक की विशेषताएँ जैसे कक उसकी गतत, साहस और िफ़ादारी क बार म
                                                                                                े
                                                                                                     े
                       जानकारी होगी |
                                                                        े
                                                                             े
                                                                                ें
                    2.छात्रों को  चेतक और महाराणा प्रताप क सम्बंद क बार म जानकारी होगी |
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                                                                                    े
                                                                     े
                                                                               े
                                                                                       ें
                    3.छात्रों को चेतक की िीरता का महत्त्ि और उसक प्रभाि क बार म जानकारी होगी |
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                    4.छात्रों को िफ़ादारी और साहस क महत्त्ि क बार म समझ होगी |
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               चेतक की िीरता कविता का सार :
               'चेतक  की  िीरता' कविता  म  कवि  ने  चेतक  की  िीरता  और  उसकी  अद्वितीय  क्षमता  का
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                                             े
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                                                                                  ं
                                                       ें
               िणणन ककया ह। चेतक युद्ध क मदान म चौकडी भरकर अथिा छलाग लगाकर अपनी िीरता
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               को ददखाता ह, उसक चलने क तीव्र गतत से ऐसा प्रतीत होता ह जैसे मानो िह हिा से बात
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                                   े
                                                                              ै
                                                                                                          ें
                                             े
               कर रहा हो अथिा हिा का सामना कर रहा हो ।राणा प्रताप का कोडा चेतक क तन पर कभी
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               भी नहीं गगरता था, क्योंकक िह इतना समझदार था कक अपने स्िामी की आज्ञा को भली-
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                  ँ
                                                                           े
                                                                                                 ै
                                                                                                   े
               भातत समझ जाता था। िह शत्रुओं क मस्तक पर इस तरह स आक्रमण करता था जस मानो
               कोई आसमान से घोडा ज़मीन पर उतर आया हो अथणाात िह बहत तेजी स अपने शत्रुओं क
                                                                                         े
                                                                                                         े
                                                                               ु
               ससर पर प्रहार करता था।अगर हिा क माध्यम से भी घोडे की लगाम जरासी भी दहल जाती               -
                                                   े
                                                           ण
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                             ं
               थी तो िह तुरत अपनी सिारी को लकर अथात राणा प्रताप को लकर तीव्र गतत स उड जाता
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               था। अथात बहत तेजी स दौडने लगता था । राणा प्रताप को जजस तरह मुडना होता िह
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               उनकी आँखों क पुतली क घुमने स पूिण ही चेतक उस ददशा म मुड जाता था, कहने का
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                                                   े
               तात्पयण यह ह कक चेतक अपने स्िामी की हर प्रततकक्रया को भलीभाँतत समझ जाता था।          -
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               चेतक अपनी कौशलता और िीरता का पररचय अपनी चाल क द्िारा ददखाता । तीव्र गतत से
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               दौडना और तनडर होकर अपने शत्रुओं पर आक्रमण करना यह उसकी िीरता का स्मारक था।
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                                       े
               िह तनडर होकर युद्ध क समय म भयानक भालों और तलिारों स सुसजजजत सनाओं क बीच
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                                                                                             े
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