Page 2 - CH- BRUKHYA SATPURUSAH EBA (LIT) LN
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सम – समाि ।
               हृदाः – िालाब |
               द्रुमाः – र्ृक् ।




                                                                                े
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                                                       ै
                                                                            ां
                                                                                         ै
                                 ां
               सरलार्ा:- एक जलक ु ड दस क ु ओ क समाि ह, एक िालाब दस जलक ु डों क समाि ह, एक पुत्र का दस
               िालाबों क समाि ह (िर्ा) दस पुत्रों क समाि एक र्ृक् ह।
                                 ै
                                                  े
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                                                                   ै

               SLOK-3

               अहो एषा र्र जन्म सर्वप्राण्युपजीर्िम् ।
                        ां
                            ां
               सुजिस्यर् यषा र् पर्मुखा यान्न्ि िार्र्विाः ॥
                        े
                                 ै
                              ां
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                                    ां
                                                                                           े
               अन्वयः – अहो ! एषा सर्वप्राण्युपजीर्िां जन्म र्रम् (अन्स्ि) । सुजिस्य इर् यषाम् अर्र्विाः
               पर्मुखााः ि यान्न्ि ।
               शब्दार्ाा:-
               एषाम् – इि ( र्ृक्ों) का ।
               र्रम् – श्रष्ठ ।
                         े
               सर्वप्राण्युपजीर्िम् – सब प्राणियों का आश्रय का साधि।
               सुजिस्यर् – सज्जि क समाि ।
                                      े
                        े
               जन्म – पैदा होिा ।
               अर्र्वि: – याचक (प्रार्विा करिे र्ाला) ।

               पर्मुखााः – तिराश होकर ।
               ि यान्न्ि – िह ां जािे।


                                                                                        े
                                                                               े
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               सरलार्ा:- अर! सभी प्राणियों का आश्रय भूि इि र्ृक्ों का जन्म श्रष्ठ ह। य (र्ृक्) सज्जि
               क समाि ह न्जिसे प्रार्विा करिे र्ाल (याचक) तिराश होकर िह ां जािे।
                                                    े
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               SLOK-4
               परोपकाराय फलन्न्ि र्ृक्ााः परोपकाराय र्हन्न्ि िद्याः ।
               परोपकाराय दुहन्न्ि गार्ाः परोपकाराय इद शर रम् ॥
                                                       ां



               अन्वयः – र्ृक्ााः परोपकाराय फलन्न्ि, िद्याः परोपकाराय र्हन्न्ि, गार्ाः परोपकाराय दुहन्न्ि,

               परोपकाराय (एर्) इद शर रम् (अन्स्ि) ।
                                   ां
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