Page 1 - CH- BRUKHYA SATPURUSAH EBA (LIT) LN
P. 1

SAI International School

                                                            Class- VI

                                                                   nd
                                             Sub -Sanskrit(2  language)
                                              Ok`{kk% lRiq:”kk% ,o

                                                           LN

               SLOK-1

               छायामन्यस्य क ु र्वन्न्ि तिष्ठन्न्ि स्र्यमािप ।
                                                         े
               फलान्यपप परार्ाय र्ृक्ााः सत्पुरुषा इर् ॥
                               व



                                                                                ां
                                             े
               अन्वयः- (र्ृक्ााः) स्र्यम् आिप तिष्ठन्न्ि ( ककन्िु ) अन्यस्य छाया क ु र्वन्न्ि, फलाति अपप
               परार्ाय ( यच्छन्न्ि) (अि:) र्ृक्ााः सत्पुरुषा इर् (सन्न्ि) ।
                     व

               शब्दार्ाा:-
               क ु र्वन्न्ि – करिे ह।
                                 ैं
               तिष्ठन्न्ि – ठहरिे हैं।
               फलान्यपप – (फलाति + अपप) – फल भी ।

               आिपे – धूप म ।
                              ें
               परार्ावय – दूसरों क ललए।
                                 े
               सत्पुरुषााः इर्- सज्जिों की िरह ।



               सरलार्ा:- र्ृक् छाया दूसरों क ललए करिे ह, स्र्यां धूप म रहिे ह, फल भी दूसरों क ललए ह,
                                                         ैं
                                           े
                                                                                                       ैं
                                                                      ें
                                                                              ैं
                                                                                              े
               र्ृक् सज्जिों की िरह होिे ह।
                                            ैं
               SLOK-2
               दशक ू पसमा र्ापी दशर्ापीसमो ह्रदाः ।
               दशह्रदसमाः पुत्राः दशपुत्रसमो द्रुमाः ॥



               अन्वयः – दशक ू पसमा र्ापी (अन्स्ि), दशर्ापीसमाः हृदाः (अन्स्ि), दशह्रदसम: पुत्र: ( अन्स्ि),
               दशपुत्रसमाः द्रुमाः (अन्स्ि ) ।



               शब्दार्ाा:-

               दशक ू प – दस क ु ए।
                                 ँ
               र्ापी – जल क ुां ड ।
   1   2   3   4