Page 2 - CH- SAH EBA MAHAN CHITRA KARAH (LIT) LN
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हररतानन – हर |
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पिािनन – पत्त ।
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खगाः – पक्षी ।
जन्तवः – प्रािी / जन्तु |
एवमेव – (एवम् + एव) ऐस ही ।
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यथा – जैसे |
वदनत – बोलती ह।
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वििः – रग |
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सवे – सभी ।
वृक्षस्य – वृक्ष क ।
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उपरर- ऊपर |
शुकः – तोता ।
शोभते – अच्छा ददखता ह।
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तव – तुम्हारी ।
इष्टवििः – वप्रय रग।
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चिन्तयार्म – सोिता हाँ ।
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एव – ही।
खलु – ननश्िय ।
Meaning of the paragraph-
र्शक्षक – हम सब यहााँ क्या-क्या दखते ह?
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श्रद्िा – सब जगह अनक प्रकार क फ ू ल, हर पत्त, पक्षी और जन्तु ह, ऐसा (हम) दखते ह।
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र्शक्षक – सि हैI ऐसे ही उनक रग भी अनेक प्रकार क ह। जैसे- श्रद्िा बोलती ह ‘हर पत्त’ यहााँ पत्त
का रग क्या ह?
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छात्र – (सभी) हरा।
श्रद्िा – यहााँ पेड़ क ऊपर तोता ह। वह भी हर रग स शोभा दता ह।
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र्शक्षक – श्रद्िा! तुम्हारा वप्रय रग हरा ह ऐसा सोिता हाँ । अत एव ननश्िय ही हरा रग दखती हो ।
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Paragraph-3
Word meaning
काकः – कौआ ।
क ृ ष्ि :- काला |
वपकस्य – कोयल का ।
अवप – भी।
आम् – हााँ।
भवतयाः – आपका।
पश्यन्तु – दखो ।
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जपापुष्पम् – गुडहल ।
वदतु – बताओ।