Page 2 - L .N-SHUKRA TRE KE SAMAN-1
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थोड़ी देर क नलए इस संसार रुपी आकाश को अपने सेवा भाव से िमका कर शुक्र तार की तरह
ही अिानक अस्त हो गए अथाषत उनका ननधन हो गया। लेखक यह भी कहता है दक सेवा-धमष
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का पालन करने क नलए इस धरती पर जन्द्मे स्वगीय महादेव देसाई गांधीजी क मंत्री थे। नमत्रों
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क बीि मजाक में अपने को गांधीजी का कली कहने में और कभी-कभी अपना पररिय उनक
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खाना पकाने वाले, मशक से पानी ढोने वाले व्यनि अथवा गधे क ऱूप में देने में भी वे गौरव का
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अनुभव दकया करते थे। गांधीजी क नलए महादेव पुत्र से भी अनधक थे। जब सन् 1917 में
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महादेव गांधीजी क पास पहुुँिे थे, तभी गांधीजी ने उनको तत्काल पहिान नलया और उनको
अपने उत्तरानधकारी का पद सौंप ददया। लेखक कहता है दक सन् 1919 में जनलयाुँवाला बाग क
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हत्याकांड क ददनों में पंजाब जाते हुए गांधीजी को पलवल स्टेशन पर नगरफ़तार दकया गया था।
गांधीजी ने उसी समय महादेव भाई को अपना वाररस कहा था। लेखक कहता है दक सन् 1929
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में महादेव भाई सेतुबंध रामेश्वर से नहमािल तक देश क िारों कोनों में, पूर देश क दुलार बन
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िुक थे। सभी उनसे प्यार व् अपनापन रखने लगे थे। लेखक कहता है दक इसी बीि पंजाब में
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फौजी शासन क कारण जो कहर बरसाया गया था , उसक बार में ख़बर रोज-रोज आने लगी
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थी। पंजाब क ज्यादातर नेताओं को नगरफ़तार करक फौजी कानून क तहत उम्र-कद की सजाएुँ
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देकर कालापानी भेज ददया गया। लाहौर क मुसय राष्ट्ीय अंग्रेजी दैननक पत्र रिब्यून’क संपादक
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श्री कालीनाथ राय को 10 साल की जेल की सजा नमली। लेखक कहता है दक गांधीजी क सामने
ज़ुल्मों और अत्यािारों की कहाननयाुँ पेश करने क नलए आने वाले पीनड़तों क दल-क े-दल
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