Page 5 - LN-KICHAD KA KAVYA-1
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ों
           गगा नदी  &


                                         े
                                                  ू
                गगा भारत की सबस महत्त्पण नदी ह। यह भारत और बाग्लादश म कल र्मलाकर
                    ों
                                                     ि
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                                                                                   ों
                  2525 र्कल मीिर (र्क॰मी॰) की द ू री तय करती हुई उत्तराखण्ड म र्हमालय स                     े
                                                                                              ें
                           ों
                  लकर बगाल की खाड़ी क सन्दरवन तक र्वशाल भ-भाग क  सीोंचती ह। दश की
                                                  ु
                                                                                                    े
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                                                                                                ै
                                                                          ू
                                                                                         ै
                  प्राकर्तक सम्पदा ही नहीों जन-जन की आस्था का आधार भी ह vkSj र्वशाल
                      ृ
                  उपजाऊ मदान की रचना करती ह । यह नदी भारत म पर्वत्र नदी भी मानी जाती ह                         ै
                              ै
                                                                               ें
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                                                                                ै
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                  तथा इसकी उपासना मा तथा दवी क ऱूप म की जाती ह । गगा नदी क प्रर्त र्वदशी
                                                                                                             े
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                  सार्हत्य म भी प्रशसा और भावकतापण वणन र्कय गय ह  ।

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                                                                                                 ु
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                 गगा नदी की प्रधान शाखा भागीरथी ह ज  गढवाल म र्हमालय क ग मख नामक
                                                               ै
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                                                                                         े
                               ों
                  स्थान पर गग त्री र्हमनद(GURUKUL) स र्नकलती ह । गगा क इस उद्गम स्थल की
                  ऊचाई ३१४० मीिर ह । यहा गगा जी क  समर्पत एक मर्दर ह ।
                                                 ाँ
                                                                      ि
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           प रार्णक प्रसग&
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                                                                                         ु
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                                                                      ैं
           गगा नदी क साथ अनक प रार्णक कथाए जड़ी हुई ह । र्मथक ों क अनसार ब्रह्मा न र्वष्ण क
                                                                                   े
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                                                                        ू
           पर क पसीन की बू¡nks स गगा का र्नमाण र्कया । र्त्रमर्त क द  सदस् ों क स्पश क कारण
                                          ों
                                                                                                      े
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                                                                                   े
           यह पर्वत्र समझा गया । एक अऩॎय कथा क अनसार राजा सगर न जादुई ऱूप स साठ हजार
                                                               ु
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                                                                                                    े
           पत्र ों की प्राखि की । [34]  एक र्दन राजा सगर न दवल क पर र्वजय प्राि करन क र्लए एक
             ु
                                                               े
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           यज्ञ र्कया । यज्ञ क र्लए घ ड़ा आवश्यक था ज  ईर्ष्ाल इन्द् न चरा र्लया था । सगर न अपन                 े
                                                                               े
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                                                                ें
           सार पत्र ों क  घ ड़ की ख ज म भज र्दया अन्त म उन्ह घ ड़ा पाताल ल क म र्मला ज  एक
                              े
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           ऋर्ष क समीप ब¡धा था । सगर क पत्र ों न यह स चकर र्क ऋर्ष ही घ ड़ क गायब ह न की
                   े
                                                                                            े
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                   ैं
           वजह ह, उन्ह ोंन ऋर्ष का अपमान र्कया । तपस्ा म लीन ऋर्ष न हजार ों वष बाद अपनी
                                                                                               ि
                                                                             ु
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           आख ख ली और उनक क्र ध स सगर क सभी साठ हजार पत्र जलकर वहीों भस्म ह
              ाँ
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                                                                                                         ों
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           गय।  [35]  सगर क पत्र ों की आत्माए भत बनकर र्वचरन लगीों क् ोंर्क उनका अर्तम सस्कार
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                                                                        े
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           नहीों र्कया गया था । सगर क पत्र अशमान न आत्माओों की मखक्त का असफल प्रयास र्कया
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