Page 4 - LN-KICHAD KA KAVYA-1
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कीचड़ का रग श्रष्ठ कलाकार ों, र्चत्रकार ों, मर्तकार ों और छायाकार ों (फ ि ग्राफर ों)
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क खश करता ह। व भट्टी म पकाए गए बतन ों पर यही रग करना पसद करत ह।
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छायाकार भी जब फ ि खीोंचत ह त एकाध जगह पर कीचड़-जसा रग दना पसद
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करत ह। व इस वामि न अथात पक्क रग की झलक या ऊष्मा की झलक कहकर
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खश ह त ह। इनक अर्तररक्त आम ल ग अपन घर ों की दीवार ों पर, पस्तक ों क गत्त ों
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पर और कीमती कपड़ ों पर यही रग दखना चाहत ह।
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सखन क बाद जब कीचड़ िकड़ ों म बि जाता ह, तब सदर द`श्य प्रस्तत करता ह।
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ज्यादा गरमी क कारण इन िकड़ ों पर बहुत-सी दरार पड़ जाती ह। य सखकर जब
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िढ-मढ ह जात ह त य सखाए हुए नाररयल जस लगत ह।
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कीचड़ का पष्ठ भाग सखन पर उस पर बगल और अऩॎय छ ि-बड़ पक्षी र्वहार करन े
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लगत ह। उनका यह र्वहार बहुत सदर प्रतीत ह ता ह। कीचड़ पर पर्क्षय ों क पद~र्चह् ों
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क अकन स द ू र-द ू र तक बन र्चह्u मध्य एर्शया क माग जस लगत ह ।
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कमल (वानस्पर्तक नाम:नीलर्बयन ऩॎयर्सफरा (Nelumbian nucifera)) वनस्पर्त
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जगत का एक प धा ह र्जसम बड़ और सन्दर फल खखलत ह। यह भारत का राष्ट् र ीय
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पष्प ह। सस्कत म इसक नाम ह - कमल, पद्म, पकज, पकरुह, सरर्सज, सर ज,
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सर रुह, सरसीरुह, जलज, जलजात, नीरज, वाररज, अभ रुह, अबज, अभ ज, अब्ज,
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अरर्वद, नर्लन, उत्पल, पडरीक, तामरस, इदीवर, कवलय, वनज आर्द आर्द। फारसी
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म कमल क 'नील फर' कहत ह और अग्रजी म इर्डयन ल िस या सक्रड ल िस,
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चाइनीज़ वािर-र्लली, ईर्जखशशयन या पाइथाग ररयन बीन।
कमल का प धा (कमर्लनी, नर्लनी, पर्द्मनी) पानी म ही उत्पन्न ह ता ह और भारत
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क सभी उष्ण भाग ों म तथा ईरान स लकर आस्ट्र्लया तक पाया जाता ह। कमल का
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फल सफद या गलाबी रग का ह ता ह और पत्त लगभग ग ल , ढाल जस, ह त ह ।