े ृ लोकसंस्कशत से जोड़ती है । आसक नन्हें-नन्हें कण भी हमें देिभशक्त का पाठ पढ़ाते हैं । धूल की वास्तशवकता का ज्ञान कराना ही आस पाठ का मूलभाव है।