Page 4 - LN
P. 4

े
                                           े
                             शनकल जाने क बाद धूले असमान में ऐसे छा जाती है मानो रुइ क बादल छा गए

                                                                                     े
                                                                             े
                             हों  । या यों लगता है मानो वह ऐरावत हाथी क जाने क शलए बनाया गया तारों
                                                                                          े
                             भरा मागग हो । चााँदनी रात में मेले पर जाने वाली गाशड़यों क पीछ धूल ऐसे
                                                                                                े

                             ईठती है मानो कशव-कल्पना ईड़ान पर हो।



                                                        े
                           लेखक ने ककसी पुस्तक शवक्रता द्वारा कदए गए शनमंत्रण पत्र में गोधूशल बेला का

                             ईल्लेख देखा तो ईसे लगा कक यह कशवता की शवडंबना है। कशवयों ने कशवता में



                                                                                       े
                             बार-बार गोधूशल की आतनी मशहमा गाइ है कक पुस्तक शवक्रता महोदय ईस िब्द


                                              े
                             का प्रयोग कर बैठ  । परतु सच यह है कक िहरों में न तो गाएाँ होती हैंन गोधूशल
                                                    ं
                                                                                                ,
                                                             े
                             बेला  । ऄतः यह गोधूशल िब्द कवल कशवता क गुणगान को सुनकर प्रयुक्त हुअ
                                                                            े


                              है ।


                           शमट्टी आस भौशतक संसार की जननी है  । ऱूप, रस, गंध, स्पिग क सभी भेद आसी
                                                                                           े


                                                                                           ।
                             शमट्टी में से जन्म लेते हैं। शमट्टी क दो ऱूप हैं-ईज्ज्वल तथा मशलन शमट्टी की जो
                                                             े

                             अभा है, ईसका नाम है धूल। यह शमट्टी का श्ृंगार है। यह एक प्रकार से शमट्टी की



                                                         े
                             उपरी परत है जो गोधूशल क समय असमान में ईड़ती है या चााँदनी रात में


                                             े
                                       े
                             गाशड़यों क पीछ-पीछ ईठ खड़ी होती है  । यह फलों की पंखुशड़यों पर या शििुओं
                                                   े
                                                                             ू

                                                े
                              े
                             क मुख पर श्ृंगार क समान सुिोशभत होती है  ।
   1   2   3   4   5   6