Page 3 - Microsoft Word - TOPIC- 4 PARYABARAN - NOTES
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paragaph 3 पर तु  वथा  धो मानव तदेव पया वरणम  नाशयित |  व प लाभाय जना: ब मू यािन

             व तुिन नाशयि त | य  गाराणाम् िवषा म् जलं न ां िनपा यते येन म  या दनां जलचराणाम् च
                                                                                       ं
              णेनैव नाशो जायते | नदीजलमिप त सव थाSपेयं जायते | वन ु ा: िन ववेक िछ  ते
              यापारवध नाय, येन अवृि :  वध ते, वनपशव  शरण रिहता  ामेषु ,उप वं िवदधाित | शु  वायुरिप
                                                                                        े
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              ु कत नात् संकटाप ो जात: | एवं िह  वाथ  ध मानवै वकितमुपगता  कितरव तेषां िवनाशक
                                    ृ
             स ाता | पया वरणे िवकितमुपगते जाय ते िविवधा रोगा भीषणसम या  | त सव िमदान  िच तनीयं
              ितभाित |


                                                                                                          े
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             अथ  –  क त  वथ  म  अंधा  आ मन य उसी पयावरण को आज न  कर रहा है | थोडे से लाभ क िलए
                ु
             मन य ब मू य ब तुय  को न  कर रहे है | कारखान  का िवषैला जल नदीय  म  िगराया जा रहा है |

             िजससे मछली आ द जलचर  का  णभर म  िह नाश हो जाता है | नदीयां का पानी िभ सवथा ( हर
                                                               े
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              कार से ) न पीन यो य(अपेया) हो जाता है | वन क  पेड  ापार वढाने क िलए अ धाधुंध काट जाता

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             है ,िजससे अवृि   (वषा न होना ) म  वृि  होती है तथा वन क पश असहाय होकर गांवो म  उप व
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                                                                                                          ु
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             उ प  करत है | पेड  क कट जाने से शु  वायु िभ  दुल भ हो गई है | इस  कार  वाथ  से अंधे मन य क
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                                                                                                े
              ारा िवकारयु   कित ही उनक  िवनिशक  हो गई है | पयावरण म  िवकार आ जान से  िविभ  रोग
                                                                        ु
             तथा भयंकर  सम याएं उ प  हो रही है | इसिलए अब सब कछ िच तायु   ितत हो रहा है |

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             श दाथ ः नाशयित - न  कर रहा है ,  व पलाभाय - थोडे से लाभ क िलए , य  गाराणाम् -
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             कारखान  क ,िवषा म् - िवषैला  / जहरीला , िनपा यते – फका जाता है , जलचराणाम् – पािन
                                                                                                े
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             रहनेवाले जीव  का , अपेयं - न पीन यो य, जायते - हो जाता है , वन ु ा: - ज गल क पेड , िन ववेक
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             – अकारण से , िछ  ते – काटत , अवृि : - बषा  क कमी ,  वध ते – बढित है, वनपशव  – ज गली
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             पश , शरण रिहता: - िवना  शरण क, िवदधाित - उ प  करत है ,  ु कत नात् -  पेड  क काटन से,
             उप वं – भय
             संकटाप ो – संकट से यु  , जात: - हो जाता है ,  वाथ  ध - अपिन वाथ  से अंधे,
                                                                                     े
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             िवकितम् – िवकारयु  , उपगता – हो गई है , िवनाशक   – िवनाश करन वाली , स ाता - हो गई है
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                                                                                          े
             , िवकित – िवकार , मुपगते - आ जाने से , इदान  – अब , िच तिनयं – िच तन क यो य ,  ितभाित –
                  ्
              ितत हो रहा है |
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