Page 3 - LESSON NOTES - MANUSHYATA - 1
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तथा उसी उदार को सम त सृि  पूजती।
                                                             े
                 अखंड आ म भाव जो असीम िव  म  भर,
                                                                          े
                                                               े
                                 वही मनु य है  क जो मनु य क िलए मर।।




















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               उदार - महान , े
               बखानती - गुण गान करना

               धरा - धरती

                ृ
               कत  - ऋणी , आभारी
               सजीव - जीिवत
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               कजती – e/kj /ofu  करना, चारों और फलती

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                                 े
               अख ड - िजसक टकड़ न  कए जा सक
               असीम – पूरा
                                                                               ु
                                                                                              ै
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                ा ा  -:   त प  यों म किव न दानी एव उदार     का गणगान िकया ह।  जो

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                                                                              ै
                                                                          े
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               औरों क सख क िलए अपना तन, मन और धन  ोछावर कर दता ह इितहास म उसी की महानता

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                                                           े
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                                                                                                ू
                              ै


               की चचा होती ह। प कों म उसी की अमरता क गीत गाए जात ह। जो     उदारतापवक मानव
                                                      ं
                                                                         ै
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                                                                                    ं
                                                                                                   े
                 े
               सवा  करता  ह, धरती  भी उस  पाकर   य  को ध   मानती ह।  उदार एव  महान लोगों  क  महान
                                                                      े
                ृ
                                                      ै

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               क ों की गाथा यगों तक गजती रहती ह। ऐस    यों क नाम इितहास की प कों म  िणम
                                                                                          ृ
                                                                                                     ै
                                                                         े


                                                                                               ू
                                  े
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               अ रों स िलख जात ह।ऐस लोग जो पराथ जीवनयापन करत ह उ  सम  सि  पजती ह। जो
                                                                                                     े

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                                                                                                        े
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                                                                              े
                   पर ससार को अपना मानता ह तथा िव  व मानव स ता क िलए िन ाथ भावना स सवा
                                                                                          े
                                                     े
                                                                                                        ु

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                                                                                     ै
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               करता  ह  और  िव   कटब  की  भावना  स  जनिहत  म  जीवनयापन  करता  ह,  ऐस  ही   ाणी  मन
                                                                                                         ै
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                                                                  े
                                                                                            े
                                                                                       ु
                                                                               ै

               कहलान यो  ह। वा व म वही मन  ह  जो मन  क िलए जीता ह और मन  क िलए मरता ह।
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