Page 2 - LESSON NOTES - MANUSHYATA - 1
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िवचार लो क म य हो न मृ यु से डरो कभी,
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मरो, परतु य मरो क याद जो कर सभी।
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ई न य सुमृ यु तो वृथा मर, वृथा िजए,
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मारा नह वही क जो िजया न आपक िलए।
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वही पशु- वृित है क आप आप ही चर,
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वही मनु य है क जो मनु य क िलए मर।।
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म य - मृ यु
य - ऐसे
वृथा - बेकार
ा या -: किव कहता है क हम यह जान लेना चािहए क मृ यु का होना
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िनि त है, हम मृ यु से नह डरना चािहए। किव कहता है क हम कछ ऐसा करना
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चािहए क लोग हम मरने क बाद भी याद रखे। जो मनु य दूसर क िलए कछ
भी ना कर सक, उनका जीना और मरना दोन बेकार है । मर कर भी वह मनु य
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कभी नह मरता जो अपने िलए नह दूसर क िलए जीता है, य क अपने िलए
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तो जानवर भी जीते ह । किव क अनुसार मनु य वही है जो दूसर मनु य क
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िलए मर अथा त जो मनु य दूसर क चता कर वही असली मनु य कहलाता है।
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1-किव न परोपकार क िलए जीन वाल की म को 'सम ' कहा ह।
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2-स तिन खड़ी बोली का योग आ ह।
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3-'आप-आप' म पन काश अलकार ह।
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4-स ण का तकात शली म िलखा गया ह।
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उसी उदार क कथा सर वती बखानती,
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उसी उदार से धरा कताथ भाव मानती।
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उसी उदार क सदा सजीव क त कजती;