Page 1 - LESSON NOTES - MANUSHYATA - 1
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SAI  International  School

                                                      SLRC


                                          Class -X – Hindi - B

                                            Lesson Notes -  Manushyata -1
























                                                  किव - मैिथलीशरण गु

                                             ज म – 1886 ( िचरगाँव )
                                                मृ यु – 1964

                                                         पाठ सार



               इस किवता म  किव मनु यता का सही अथ  समझाने का  यास कर रहा है। पहले

               भाग म  किव कहता है  क मृ यु से नह  डरना चािहए  य  क मृ यु तो िनि त है
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                                                                          े
               पर हम  ऐसा कछ करना चािहए  क लोग हम  मृ यु क बाद भी याद रख । असली
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                                                                                     े
               मनु य वही है जो दूसर  क िलए जीना व मरना सीख ले। दूसर भाग म  किव
               कहता है  क हम  उदार बनना चािहए  य  क उदार मनु य  का हर जगह गुण गान
                                                                                      े
                                                                              े
               होता है। मनु य वही कहलाता है जो दूसर  क   चता कर। तीसर भाग म  किव
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               कहता है  क पुराण  म   उन लोग  क ब त उदाहरण ह  िज हे उनक    याग भाव
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               क िलए आज भी याद  कया जाता है। स ा मनु य वही है जो  याग भाव जान
                                                                  े
               ले। चौथे भाग म  किव कहता है  क मनु य  क मन म  दया और क णा का भाव
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               होना चािहए, मनु य वही कहलाता है जो दूसर  क िलए मरता और जीता है k
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