Page 6 - RAHIM KE DOHE-LN-2
P. 6
ें
ु
ं
े
कछ भी सभव नहीं है । नबना िानी क े हम न मोती में चमक नमलगी और न हम
ु
ं
ा
ा
ाँ
जीनवत रह िाए¡गे । यहा िर मनष्य क े सदभ में कनव ने मान-मयादा को िानी की तरह
बताया है । नजस तरह िानी क े नबना मोती की चमक चली जाती है ] ठीक उसी तरह
ु
े
ा
एक मनष्य की मान-मयादा भ्रष्ट हो जान िर उसकी प्रनतष्ठा रूिी चमक खत्म हो जाती
है vkSj fcuk ikuh ds jksVh ugha cu ldrh gS blfy, vkVk csdkj gS A
****