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यहा िर कनव ने स्वाथी मनष्य क े बार में बताया है और उस िश से भी बदतर
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कहा ह। नहरण एक िश होन िर भी मधर ध्वनन से मग्ध होकर नशकारी िर
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अिना सब कछ न्योछावर कर दता ह। जस कोई मनष्य कला से प्रसन्न हो जाए
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तो निर वह धन क े बार में नहीं सोचता अनित वह अिना सारा धन कला िर
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न्योछावर कर दता है ijarq कछ मनष्य िश से भी बदतर होत हैं A वे कला का
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लत्फ़ तो उठा लत हैं] िरन्त बदल में कछ नहीं दत ।
8& नबगरी बात ------------------------------------------- माखन होय।।
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रहीम जी ने हम जीवन से सबनधत कई नशक्षाए दी हैं और उन्ही में से एक
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नशक्षा यह है नक हम हमशा कोनशश करनी चानहए नक कोई बात नबगड़ नहीं।
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नजस प्रकार अगर एक बार द ू ध िट जाए] तो निर लाख कोनशशों क े बावजद
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भी हम उस मथ कर माखन नहीं बना सकत, ठीक उसी प्रकार अगर एक बार
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कोई बात नबगड़ जाए] तो हम उस िहल tSlk ठीक कभी नहीं कर सकत ह।
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इसनलए बात नबगड़न से िहल ही हम उस l¡Hkky लना चानहए।