Page 2 - ln
P. 2
23& fivklks & I;klk 24& lgk; & lgk;d
25& tyt & dey 26& jfo & lw;Z
27& iad&ty & dq,¡ vkSj rkykc dk ty
6& धनन रहीम -------------------------------------------- निआसो जाय ।।
izlax&
ftldh tgk¡ I;kl cq>rh gS ] ogh mlds fy, lkxj gksrk gS A
HkkokFkZ&
ं
ु
े
प्रस्तत िक्तियों में कबीर दास जी कहत हैं नक वह कीचड़ का थोड़ा-सा िानी भी धन्य
ू
े
े
ु
े
े
है ] जो कीचड़ में होन क े बावजद भी ना जान नकतन कीड़-edksM+s की प्यास बझा
ै
ु
े
दता ह। ogha द ू सरी ओर सागर का अिार जल जो नकसी की भी प्यास नहीं बझा
े
े
े
े
ाँ
सकता A यहा कनव ने एक ऐस गरीब क े बार में कहा है] नजसक िास धन नहीं होन
ै
े
े
ू
क े बावजद भी वह द ू सरों की मदद करता ह। साथ ही एक ऐस अमीर क े बार में
े
े
बताया है] नजसक िास ढर सारा धन होन िर भी वह द ू सरों की मदद नहीं करता ।
े
Hkko ;g gS fd euq”; d thou /kU; rHkh gksxk tc ge vius dhan vkSj
Kku ls avkSjksa dh ;Fkklk/; enn djsa A
े
ु
7& नाद रीनझ ---------------------------------------------------------- कछ न द।।
izlax& fdlh ds n~okjk izlUu gksus ij Hkh nku u djus okys Ik’kq ls Hkh ghu
gSa A