Page 4 - LESSON NOTES-SAMAS
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• दृक्षिहीन - दृक्षि से हीन
• भयभीत - भय से भीत
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• िमक्षवमख - िम से क्षवमख
• आशातीत - आशा से अतीत
• पथभ्रि - पथ से भ्रि
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• ऋणमि - ऋण से मि
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(v) सबध तत्परुष - जहा समास क े पव पि में सबि तत्परुष की क्षवभक्ति अथात का, क े, की का ल प
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ह , वहा सबि तत्परुष समास ह ता है। जस -
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• गहस्वामी - गह का स्वामी
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• गगाजल - गगा का जल
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• घड़दौड़ - घ ड़ ं की दौड़
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• मत्यदड - मत्य का दड
• प्राणपक्षत - प्राण का पक्षत
• जलिारा - जल की िारा
• भारतरत्न - भारत का रत्न
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• गगातट - गगा का तट
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• दशवासी - दश का वासी
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(vi) अलधकिण तत्परुष - जहा अक्षिकरण कारक की क्षवभक्ति अथात 'में', 'पर' का ल प ह ता है, वहा ँ
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'अक्षिकरण तत्परुष' समास ह ता ह। जस -
• आत्मक्षवश्वास - आत्म पर क्षवश्वास
• आपबीती - आप पर बीती
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• कलश्रष्ठ - कल में श्रष्ठ
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• िमवीर - िम में वीर
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• गहप्रवश - गह में प्रवश
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• यद्धवीर - यद्ध में वीर
• ल कक्षप्रय - ल क में क्षप्रय
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3- कमधािय समास
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कमिारय समास में पहला पद क्षवशषण तथा दसरा पद क्षवशष्य ह ता है अथवा एक पद उपमान और
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दसरा पद उपमय ह ता ह। इसका उत्तरपद प्रिान ह ता ह। क्षवग्रह करत समय द न ं पद ं क े बीच में 'क े
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समान', 'है ज ', 'ऱूपी' शब् ं में से क्षकसी एक का प्रय ग ह ता ह। जस -
• महाराजा - महान है ज राजा
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• श्वताबर - श्वत है ज अबर
• नीलगाय - नीली है ज गाय
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• परमानद - परम है ज आनद
• महात्मा - महान है ज आत्मा
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• अिक्षवश्वास - अिा है ज क्षवश्वास
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• महापरुष - महान है ज परुष
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• महादव - महान है ज दव
• घनश्याम - घन क े समान श्याम
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• दहलता - दह ऱूपी लता
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4- लिग समास

