Page 3 - LESSON NOTES-SAMAS
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में कता और सब िन क छ ड़कर अऩॎय क्षकसी भी कारक का क्षवभक्ति क्षचह्न आता ह। प्राय उत्तरपद
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क्षवशष्य और पवपद क्षवशषण ह ता ह।
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क्षजस समस्तपद में ‘पवपद’ गौण तथा उत्तरपद’ प्रिान ह ता है, वहा तत्परुष समास ह ता ह।
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चक्षक तत्परुष समास का पवपद क्षवशषण ह ता है, अतः गौण ह ता है तथा उत्तरपद क्षवशष्य
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ह न क े कारण प्रिान ह ता ह।
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तत्परुष समास क े क्षवग्रह क े समय समस्त कारक ं क े कारकीय-क्षचह्न क्षजनका समास करत े
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समय क्षदया गया था, पन: ज ड़ जात हैं; जस- र गमि र ग से मि (‘से’ अपादान कारक
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का क्षचह्न), जीवनसाथी जीवन का साथी (‘का’ सबि कारक का क्षचह्न) आक्षद। उदाहरण
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दक्तखए-
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तत्परुष क े भद
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(i) कम तत्परुष - जहा पवपद में कमकारक की क्षवभक्ति का ल प ह , वहा कम तत्परुष ह ता ह। जस -
• वनगमन - वन क गमन
• ग्रामगत - ग्राम क गत
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• स्वगगत - स्वग क गया हुआ
• यशप्राप्त - यश क प्राप्त
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• मरणासन्न - मरण क पहुचा हुआ
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(ii) किण तत्परुष - जहा पव पि में करण कारक की क्षवभक्ति का ल प ह , वहा 'करण तत्परुष' ह ता
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ह। जस -
• मनमाना - मन से माना हुआ
• र गपीक्षड़त - र ग से पीक्षड़त
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• रखाक्षकत - रखा से अक्षकत
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• प्रमातर - प्रम से आतर
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• भयाकल - भय से आकल
• अकालपीक्षड़त - अकाल से पीक्षड़त
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• र गमि - र ग से मि
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• मनगढ़त - मन से गढ़त
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• गणयि - गण से यि
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(iii) सप्रदान तत्परुष - जहा समास क े पव पि में सप्रदान की क्षवभक्ति अथात 'क े क्षलए' का ल प ह ता है,
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वहा सप्रदान तत्परुष समास ह ता ह। जस -
• डाकगाड़ी - डाक क े क्षलए गाड़ी
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• दशभक्ति - दश क े क्षलए भक्ति
• सत्याग्रह - सत्य क े क्षलए आग्रह
• मालग दाम - माल क े क्षलए ग दाम
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• जबख़च - जब क े क्षलए ख़च म
• क्षवद्यालय - क्षवद्या क े क्षलए आलय
• मालग दाम - माल क े क्षलए ग दाम
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• बक्षलपश - बक्षल क े क्षलए पश ु
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(iv) अपादान तत्परुष - जहा समास क े पव पि में अपादान की क्षवभक्ति अथात ‘से' का भाव ह , वहा ँ
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अपादान तत्परुष समास ह ता ह। जस -
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• गणहीन - गण ं से हीन
• िनहीन - िन से हीन

