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SAI INTERNATIONAL SCHOOL
SHS
GRADE – VI
ND
2 LANG. (HINDI)
पाठ- मातृभू म
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क व - सोहनलल ववद जी
Lesson Notes -
Learning objective &
1. ब च को दशभि त क बार म सामा य जानकार होना |
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2. क व वारा क वता क मा यम स महापु ष क आदश का ान होना |
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3. ब च म क ृ त क त च बढ़ना
4. सा ह य क त च जागृत होना
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5. महापु ष क त आदर का भाव होना
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6. अथ हण मता का वकास होना
पाठ का सार -
“मातृभू म” क वता म क व सोहनलाल ववेद ने भारत क भौगो लक, सां क ृ तक और
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आ याि मक महानता का सुदर च ण कया ह। इस क वता म हमालय को दश क अ डग
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शि त और गौरव का तीक बताया गया ह, जो आकाश को चूमता हआ खड़ा ह। दूसर ओर,
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हंद महासागर उसक चरण म लहर क मा यम स झुककर अपनी भि त कट करता ह।
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क व ने गंगा, यमुना और सर वती क वेणी संगम क म हमा का उ लेख करते हए उनक
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प व ता को दशा या ह। भारत क पहा ड़य स झरते झरने, हर -भर अमराइयाँ, कोयल क
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मधुर पुकार और मलय पवन क शीतलता इस भू म क ाक ृ तक सुदरता को और अ धक
मोहक बनाते ह।
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क व ने दश को पु यभू म, वण भू म, धम भू म और कम भू म कहकर उसका गौरव बढ़ाया ह।
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यह वह भू म ह जहाँ भगवान राम और माता सीता का ज म हआ, जहाँ ीक ृ ण ने गीता
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का उपदश दया, और जहाँ गौतम बु ध ने क णा और अ हंसा का संदश दया। यह
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यु धभू म भी ह, जहाँ धम और स य क र ा क लए महाभारत जैस यु ध लड़े गए, और
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साथ ह बु धभू म भी ह, िजसने पूर व व को शा त और ान का काश दया। क व इस
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क वता क मा यम स अपनी मातृभू म क त म, धा और गव क भावना कट करते
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ह और पाठक क मन म दशभि त क भावना जगाते ह।
का यांश –1