Page 4 - L N
P. 4
टहनटहनाना – घोड़े की आवाज
े
परस्पर – एक दूसर क े साथ, आपस में
व्याख्या –
िं
रात का तीसरा पहर बीत चुका था। चौथा पहर क े आरभ होते ही बाबा भारती ने अपनी
िं
े
क ु हटया से बाहर ननकल ठडे पानी से स्नान ककया। उसक बाद रोज़ की तरह जैसे कोई सपने
े
े
में चल रहा हो, उनक पाँव घोड़े को बाँिने क े स्थान की ओर बढ़। अथातत बाबा भारती आदत
े
िं
से मजबूर बबना क ु छ सोचे रोज की तरह सुलतान की ओर जाने लग। परतु दरवाजे पर
ें
पहँचकर उनको अपनी भूल का एहसास हआ। इसक साथ ही उन्ह अत्यचिक दुुःि भी हआ
े
ु
ु
ु
और उनक पाँव को उनक दुुःि ने अत्यचिक भारी बना हदया। वे दरवाजे पर ही रुक गए।
े
े
परन्तु घोड़े ने अपने स्वामी क े पाँवों की आहट को पहचान सलया और वह ज़ोर से आवाज
करने लगा। अब बाबा भारती आश्चयत और प्रसन्नता से दौड़ते हए अिंदर घुस और अपने घोड़े
े
ु
े
क े गल से सलपटकर इस प्रकार रोने लग जैसे कोई वपता बहत हदन से बबछ्ड़े हए आपने पुत्र
े
ु
ु
से समल रहा हो। वे बार-बार उसकी पीठ पर हाथ फर रह थे और बार-बार सुल्तान क े मुँह पर
े
े
े
े
थपककयाँ दते हए कह रह थे कक अब कोई गरीबों की सहायता से मुँह न मोड़ेगा। थोड़ी दर क े
े
ु
े
बाद जब वे अस्तबल से बाहर ननकल तो उनकी आँिों से आँसू बह रह थे। ये आँसू उसी
े
भूसम पर ठीक उसी जगह चगर रह थे, जहाँ बाहर ननकलने क े बाद िड्गससिंह िड़ा होकर रोया
े
था। दोनों क े आँसुओिं का उस भूसम की समट्टी पर एक दूसर क े साथ मेल हो गया था।
े
Learning outcome :
1- दीन-दुखियों की सवा और सहयोग करना
े
2- छल–कपट न करना
3- लोगों पर ववश्वास करना
4- हार की जीत म नैनतक जीत को समझना
ें
5- अपने क्जिंदगी म ककसी को िोिा नहीिं दना ।
े
ें
ें
े
ें
6- जो हम पर ववश्वास कर उन्ह िोिा नहीिं दना ।
े
7- गलती पर पश्चाताप करक सुिार करना |
*****