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र्ब्दार्श –
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प्रयोजन – उद्दश्य, असभप्राय, मतलब, गरज, आशय
ससद्ध – प्राप्त, सफल, हाससल, उपलब्ि
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बहत ससर मारना – बहत हदमाग लगाकर परशान होना या बहत प्रयत्न करना
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व्याख्या – जब िड्गससिंह, बाबा भारती का घोड़ा ले जा रहा था तो बाबा ने उसे आवाज दकर
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रुकने क े कहा। िड्गससिंह ने भी उनकी आवाज़ सुनकर घोड़ा रोक सलया और घोड़े की गदन
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पर प्यार से हाथ फरते हए बाबा से कहा कक अब यह घोड़ा वह उन्ह वावपस नहीिं दगा। बाबा
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ने उससे कहा कक परतु वह उनकी एक बात सुनते जाए। िड्गससिंह ठहर कर उनकी बात
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सुनने लगा। बाबा भारती ने नजदीक जाकर उसकी ओर ऐसी आँिों से दिा जैसे एक बकरा
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कसाई की ओर दिता है (अथातत जैसे बकर को पता होता है कक कसाई उसे नहीिं छोड़ेगा वैसे
ही बाबा को पता था कक िड़गससिंह उनक घोड़े को नहीिं छोड़ने वाला) और उन्होंने कहा कक
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अब यह घोड़ा उसका हो चुका ह। वे उससे घोड़ा वापस करने क े सलए नहीिं कहग। परतु
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उन्होंने िड्गससिंह से एक प्राथतना की और उस प्राथतना को स्वीकार करने को कहा। और यहद
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िड्गससिंह उनकी प्राथतना को स्वीकार नहीिं करगा तो उनका हदल ट ूट जाएगा। िड्गससिंह ने भी
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कहा कक बाबा कवल आज्ञा कर वह उनकी सभी बात मानेगा, कवल घोड़ा वावपस नहीिं करगा।
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बाबा ने उसे अब घोड़े का नाम न लने को कहा। वे घोड़े क े ववषय में उससे क ु छ नहीिं कहने
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वाल थे। उनकी प्राथतना कवल यह थी कक िड्गससिंह इस घटना को ककसी क े भी सामने प्रकट
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न कर। यह सुनकर िड्गससिंह का मुँह आश्चयत से िुला रह गया। उसे लगा था कक बाबा
उससे घोड़े को वावपस माँगने की प्राथतना करग और उसे घोड़े को लकर यहाँ से भागना पड़ेगा,
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परतु बाबा भारती ने स्वयिं उसे कहा कक इस घटना को ककसी क े सामने प्रकट न कर।
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िड्गससिंह को समझ नहीिं आ रहा था कक बाबा की इस प्राथतना का उद्दश्य तया हो सकता है
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और इससे उनने तया हाससल होगा। िड्गससिंह ने बहत सोचा, बहत हदमाग लगाकर परशान
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हो गया, परतु क ु छ समझ न सका। हारकर उसने अपनी आँि बाबा भारती क े मुि पर गड़ा
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दीिं और उनसे पुछा कक इस घटना क े सभी को पता चलने से उन्ह तया डर ह। यह सुनकर
बाबा भारती ने उससे कहा कक यहद लोगों को इस घटना का पता चला तो वे ककसी गरीब पर
ववश्वास नहीिं करग। उनका दुननया से ववश्वास उठ जाएगा। यह कहते-कहते उन्होंने सुलतान
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की ओर से इस तरह मुँह मोड़ सलया जैसे उनका उससे कभी कोई सिंबिंि ही न रहा हो। कहने
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का आशय यह है कक िड्गससिंह ने एक गरीब दुियार का वेश िारण करक बाबा क े साथ
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छल ककया था और अगर लोगों को पता चलता तो वे कभी भववष्य में ककसी गरीब दुियार
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की सहायता करने से भी कतराएिंग।
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पाठािंर्
बाबा भारती चले गए। ---------------उसकी आखों में पश्चाताप क े आसू र्े।
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र्ब्दार्श –
गूँज – प्रनतध्वनन