Page 3 - L N
P. 3
े
नील नयनों- सा यह अंबर,
े
कालीपुतली स य जलधर -,
े
करुणाविगमलत अश्रु बहाकर -,
धरती की चचर प्यास बुझाई |
ब ढ़ी धरती शस्यश्यामला -,
बनने को फिर से ललचाई |
पहली ब ूँद धरा पर आई |
व्याख्या -
े
े
े
ैं
ै
आग कवि कहते ह फक नीला आसमान नीली आूँखों क समान ह और काल बादल उन नीली-
नीली आूँखों की काली पुतली क समान ह| मानो बादल धरती क दुखों स दुुःखखत होकर :
ै
े
े
े
त
िर्ा ऱूपी आूँस बहा रहा हो| इस प्रकार धरती की प्यास बुझ जाती ह | िर्ात का प्रेम पाकर
ै
ें
े
धरती क मन म फिर से हरा भरा होने की इच्छा जाग उठी ह ै -| पहली ब ूँद क ु छ इस तरह
धरती पर आई, क्जसका ख बस रत एहसास और पररणाम धरती को ममला |
शब्दार्त –
पािस- िर्ात
प्रर्म- पहला
ददिस- ददन
धरा- धरती
नि-जीिन- नया जीिन
े
अूँगडाई- आलस्य आदद क कारण अंगों का एठना |
ै
े
उडता सागर- पानी से भर बादलों को कहा गया ह
स्िखणतम- सुनहर
े
पर – पंख
बजा नगाडे – नगाडों समान बादलों की तेज आिाज,
तरुणाई- योिन
Learning outcome :
ें
ं
े
1.बच्चे पहली ब ूँद (कविता) पाठ म प्रयुतत पक्तत क माध्यम स दहंदी
े
े
शब्दों स पररचचत हए I
ु
े
2. बच्चों को दहंदी काव्य क प्रतत अनुराग उत्पन्न हआ I
ु
ं
े
3. बच्चों म प्राक ृ ततक सुदरता क प्रतत इच्छा उत्पन्न हई |
ें
ु
4. बच्चे प्रक ृ तत की सुरक्षा और सुदरता को बनाए रखने क मलए संकल्प मलए |
ं
े
******