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SAI INTERNATIONAL SCHOOL
SHS
GRADE – VI
ND
2 LANG. (HINDI)
पाठ - पहली ब ूँद
dfo& कवि गोपालक ृ ष्ण कौल जी
Lesson Notes -
Learning objective &
1. बच्चों को ऋतुओं क बार म सामान्य जानकारी होना
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2. कवि द्िारा कविता क माध्यम से प्रक ृ तत म पररिततन का ज्ञान होना
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3. बच्चों को प्रक ृ तत क प्रतत ऱूचच बढ़ना
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4. अर्तग्रहण क्षमता का विकास होना
5. बच्चों क मन म पयातिरण को हरा–भरा बनाए रखने क प्रतत इच्छा उत्पन्न होना
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पाठ का सार
इस कविता क माध्यम स गोपालक ृ ष्ण कौल जी ने िर्ा क सौंदयत और महत्त्ि पर प्रकाश
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डाला ह। जब आकाश स िर्ा की मोती ऱूपी ब ूँद धरा पर चगरती ह तो स खी धरा म नि-
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जीिन आ जाता ह। तत्पश्चात ् चारों तरफ़ हररयाली ही हररयाली छा जाती ह। धरती क स ख
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होंठों पर बाररश की ब ूँद अमृत क समान चगरते ही मानो िर्ा होने स बजान और स खी धरती
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को निीन जीिन ही ममल गया हो । धरती ऱूपी सुदरी क रोमों की पंक्तत की तरह हरी घास
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भी मुसकाने लगी और खुमशयों स भर उठी। पहली ब ूँद क ु छ इस तरह धरती पर आई, क्जसका
ख बस रत एहसास और पररणाम धरती को ममला।नीला आसमान नीली आूँखों क समान ह
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और काल बादल उन नीलीनीली आूँखों की काली पुतली क समान ह। मानो बादल धरती क े -
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दुखों स दुखखत होकर िर्ा ऱूपी आूँस बहा रहा ह। इस प्रकार धरती की प्यास बुझ जाती ह।
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िर्ा का प्रम पाकर धरती की प्यास बुझ जाती ह और धरती क मन म फिर स हराभरा होने -
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की इच्छा जाग उठी ह । पहली ब ूँद क ु छ इस तरह धरती पर आई क्जसका ख बस रत एहसास
और पररणाम धरती को ममला |
व्याख्या
काव्यांश -1
िह पािस का प्रर्म ददिस जब,
पहली ब ूँद धरा पर आई,
अंक ु र ि ट पडा धरती स,
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नि जीिन की ल अूँगडाई |
व्याख्या –