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दया। शु म पौधे का सर नीच क ओर था और जड़ ऊपर क ओर दख रह थी। ल कन
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क ु छ दन बाद यह दखा गया क पौधे क प याँ और टह नया मुड़कर फर स ऊपर क
ओर उठ ग , और जड़ भी घूमकर नीचे क ओर झुक गई।
लखक उदाहरण दता ह क जब स दय म मूल काटकर बोई जाती ह, तो पहले उसक प
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और फ ू ल नीचे क ओर होते ह, ल कन क ु छ ह दन म वे ऊपर क ओर उठ जाते ह। इसस
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पता चलता ह क पौध म एक ाक ृ तक शि त होती ह, जो उ ह हमेशा ऊपर काश क
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ओर बढ़ने और जड़ को नीचे म ट म फलाने क लए रत करती ह।
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तुत अंश म लखक कहते ह क िजस तरह हम भोजन करते ह, वैस ह पेड़पौधे भी
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भोजन करते ह। हमार दाँत होते ह, िजससे हम कठोर भोजन चबा सकत ह, ल कन छोट
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ब च क दाँत नह ं होते, इस लए वे कवल दूध पीते ह। इसी तरह, पेड़पौध क भी दाँत नह
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होते, इस लए वे तरल पदाथ और वायु स अपना भोजन ा त करते ह।
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आगे लेखक कहते ह क पेड़पौध अपनी जड़ क मा यम स म ट स रस हण करते ह।
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िजस तरह चीनी पानी म घुल जाती ह, वैस ह म ट म पानी डालने पर कई पोषक त व
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घुल जाते ह, िज ह पौधे अपनी जड़ स सोख लेते ह। अगर जड़ को पानी न मले, तो पड़
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भोजन नह कर पाता और धीरधीर मर जाता ह।-
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लखक आग कहते ह क सू मदश स दखने पर पड़ क जड़ और टह नय म हजार हजा-र
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न लकाएँ दखाई दती ह। इ ह ं न लकाओं क मा यम स म ट स ा त पोषक त व और
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पानी पूर पेड़ म संचा रत होते ह, िजससे वह हराभरा और व थ बना रहता ह।
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लखक हम यह समझा रहा ह क वृ अपन फ ू ल म शहद का संचय करक रखते ह, िजससे
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मधुमि खयाँ और तत लयाँ मधुपान कर सक। ल कन यह कवल उनक आनंद क लए नह ं
होता, बि क वृ को भी इसस लाभ मलता ह। जब मधुमि खयाँ फ ू ल स रस चूसती ह और
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उनक
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पीले रग क बार क दाने एक फ ू ल से दूसर फ ू ल तक पहँचाती ह, तो इससे बीज बनने क
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या पूर होती ह। बना इन पील रग क बार क दानो स बीज नह बन सकते, इस लए
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मधुमि खयाँ वृ क लए बहत मह वपूण होती ह।
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फ ू ल म बीज बनने क बाद वृ अपनी पूर शि त स उ ह पोषण दता ह। वह अपने शर र
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का रस पलाकर धीर-धीर बीज को बनाता ह, ठ क वैस ह जैस एक माता- पता अपने ब च
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क लए सब क ु छ योछावर कर दते ह। अब वृ को अपने जीवन का कोई मोह नह ं रहता।
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उसक सार ऊजा संतान क पोषण म लगी रहती ह।
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धीर-धीर वृ बूढ़ा होने लगता ह। जो कभी हरा-भरा और मजबूत था, अब वह सूखने लगता
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ह। पहले जो प हवा क संग खलते थे, अब वे धीर-धीर झड़ने लगते ह। जो डा लया ह क
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हवा म नाचती थीं, वे अब इतनी कमजोर हो जाती ह क जरा-सा झ का भी उ ह तोड़ दता
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ह। वृ क जड़ कमजोर पड़ जाती ह। अंत म एक दन तेज हवा क झ क स वह पूरा का
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पूरा धरती पर गर पड़ता ह।
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