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सुनकर एंजेला और अनु िहत उत्साहहत हो गईं। वे यह दिने क े भलए िेसब्री से इतजार
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करने लगीं कक कसे महहलाएाँ िी इस परपरागत नृत्य का हहस्सा िन चुकी हैं और ककस तरह
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वे िी अपनी कला क े जररय इस नृत्य को आग िढ़ा रही ह। मााँ ने एंजेला की गहरी रुचच को
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पहचान भलया और पापा क े साथ भमलकर उसक भलए एक शानदार योजना िनाई। उन्होंने
उसे असम क े नृत्य क े प्रतत उसक प्रेम को आग िढ़ाने का मौका दने का र्सला ककया।
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एंजेला ने लंदन लौटने क े िाद अपनी कक्षा में असमी नृत्य पर एक प्रस्तुतत दी। उसने त्रिह
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और सत्रिया नृत्य की क ु छ झलककयााँ अपने सहपाहठयों और भशक्षकों को हदिाई, क्जसे सिी
ने िड़े उत्साह से सराहा। जि उसने स्वयं ककए गए नृत्य की वीडडयो ररकॉडडिंग क े साथ
अपनी प्रस्तुतत दी, तो सिको िहत आनंद आया। एंजेला िहत िुश थी कक वह असम क े
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सुदर नृत्यों की झलक लंदन तक पहाँचा सकी। उसे अि समझ में आया कक उसकी मााँ को
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िी हर िार ऐसा ही अच्छा लगता होगा, जि वे कोई कफ़कम िनाती होंगी।
अि एंजेला क े पास एक नया जुनून थाअसम क े नृत्यों त्रिह और सत्रिया क े साथ अपने —
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मनोरजन और िुशी का एक नया माध्यम। यह यािा उसक भलए कवल एक छ ु ट्टी नहीं थी,
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िक्कक एक ऐसी यादगार सीि थी, क्जसने उसे नई सस्क ृ ततयों और कलाओं से जोड़ हदया।
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शब्दाथथ –
उत्साहित – िहत खुश और जोश से िरा हआ
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आग्रि – अनुरोध, ज़ोर दकर कहना
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स्वीक ृ तत – अनुमतत, सहमतत
दवारपाल – ककसी क े द्वार की रक्षा करने वाला
परदा उठा – नाटक या प्रस्तुतत की शुरुआत हई
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पगडीनुमा टोपी – पगड़ी जैसी हदिने वाली टोपी
अभिन् – ककसी ककरदार को नाटक या नृत्य क े माध्यम से प्रस्तुत करना
ऋषि – संत, तपस्वी
नाराज़ – गुस्सा होना
श्राप – शाप, िद्दुआ
वचन – प्रततज्ञा, वादा
असुर – दानव, राक्षस
गिरी – गहन, िहत अचधक।
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रुचच – ककसी चीज़ क े प्रतत लगाव या हदलचस्पी।
शानदार – िहत अच्छा, िव्य, प्रिावशाली।
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सिपाठी – वही कक्षा में पढ़ने वाल ववद्याथी।
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भशक्षक – पढ़ाने वाला, अध्यापक।
रोमािंचचत – उत्साहहत, आनंद से िर जाना।