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               अगल क ु छ हदनों तक एंजेला की मााँ डॉतयूमट्री क े भलए जानकारी इकट्ठा करने और लोगों से
               िातचीत करने में पूरी तरह व्यस्त रहीं। इस दौरान, एंजेला ने सि क ु छ दूर से ही दिा और
                                                                                                े
               समझने की कोभशश की। उसने महसूस ककया कक लंदन क े जीवन की तुलना में यहााँ का
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               माहौल, लोग, और उनकी हदनचयाफ ककतनी अलग थी। यहााँ की सस्क ृ तत, रीततररवाज-, और
               लोगों का प्रक ृ तत क े साथ घतनष्ठ संिंध उसे त्रिकक ु ल नया अनुिव दे रहा था।
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               धीरधीर-, एंजेला को अपनी मााँ क े काम का महत्व समझ में आने लगा। उसे एहसास हआ
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               कक वे भसफ़ एक कर्कम तनमाफता नहीं थीं, िक्कक एक तरह की वैज्ञातनककहानीकार थीं-, जो
                                                                            ं
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               अपनी डॉतयूमट्री क े माध्यम से अलगअलग सस्क ृ ततय-ोोों, परपराओं, और जीवन क े पहलुओं
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               को एक साथ जोड़ती थीं। मााँ की मेहनत और उनकी कहानी कहने की अनूठी शैली को
               दिकर एंजेला को उन पर गवफ महसूस हआ। एंजेला और उसका पररवार उत्तरी असम की
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               ओर रवाना हए, जहााँ असम क े प्रभसद्ध यानी मठ क्स्थत थे। उनकी योजना वहााँ रुक ’सि‘कर
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               सत्रिया नृत्य का कर्कमांकन करने की थी। जि वे पहाँचे ’दक्षक्षणापथ सि‘, तो उनकी मुलाकात
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               असम की मशहर लखिका रीना सेन से हई। अगल क ु छ हदनों तक वे उन्हीं क े घर पर रहने
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               वाल थे। रीना आंटी की एक िेटी थीअनु —, क्जसकी उम्र िी एंजेला क े िरािर थी।
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               जैसे ही अनु और एंजेला एक दूसर से भमली तो तुरत ही दोस्ती हो गयी। उन्होंने तुरत
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               अंग्रज़ी में िातचीत शुऱू कर दी, और अनु ने एंजेला को क ु छ असभमया शब्द िी भसिाए।
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               एंजेला को अनु क े अनोि खिलौने िेहद हदलचस्प लग। वहााँ लकड़ी क े िने खिलौने, गुडड़या
               और नाररयल की जटा से िने छोटछ-ोोट घर थेये सि एंजेला क े भलए नए थे। उसने  —
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               लंदन में किी इस तरह क े खिलौने नहीं दि थे।
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               अनु का सिसे पसंदीदा खिलौना थाकमान। वह इसे लकर राम िनने -लकड़ी का िना तीर —
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               भमलकर िेलना शुऱू ककया, और जकद ही वे उछलमज़ाक में पूरी तरह डूि -क ू द और हाँसी-
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               वे िस मस्ती और उत्साह में िो गए थे —गए। उनक िेल में कोई अंत नहीं था, जैसे वे
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               हमेशा से दोस्त रह हों। एंजेला और अनु ने ध्यान से दिा कक कसे एलसेंड्रा ने वैष्णव मठ
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               क े सिागार में युवा साधुओं क े सत्रिया नृत्य का कर्कमांकन ककया। एंजेला को यह दिकर
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               आश्चयफ हआ कक तया यह नृत्य कवल लड़कों और पुरुषों क े भलए ही है? अनु िी इसी िात
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               को लकर सोच रही थी। दोनों की इच्छा हई कक वे िी इन युवा साधुओं की तरह गा सक,
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               नृत्य कर सक और छद्म युद्ध का हहस्सा िन सक।
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               एंजेला की क्जज्ञासा को दिते हए उसकी मााँ ने उसे िताया कक िीसवीं शताब्दी क े मध्य में
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               क ु छ साधु मठों से िाहर आकर आम लोगों को सत्रिया नृत्य भसिाने लग। हालांकक, शुरुआत
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               में ऐसे साधुओं को मठों से तनकाल हदया जाता था, लककन समय क े साथ यह सोच िदल
               गई। आधुतनक समय में महहला सत्रिया कलाकारों का मंच पर नृत्य करना एक सामान्य िात
               हो गई ह।
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               उस रात एंजेला की मााँ महहला सत्रिया नृत्यागनाओं का कर्कमांकन करने वाली थीं। यह
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