माधव सोचिा ह और समझािा ह-
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‘मेर शरीर क सभी अंग मेरी सहायिा करिे हैं। मैं आूँखों से दखिा हूँ, कानों स सुनिा हूँ, मुख
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स बोलिा हूँ और भोजन खािा हूँ, प् स पचने क कारण शस्क्ि र प्राप्ि करिा हूँ और परों
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स चलिा हूँ। इसललए आप सभी श्रषठ ह। आप सभी मर पप्रय ह।
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