Page 3 - CH- MADHABASYA PRIYA ANGAM (LIT) LN
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माधव सोचिा ह और समझािा ह-
                               ै
                                                ै
                                                                                           े
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               ‘मेर शरीर क सभी अंग मेरी सहायिा करिे हैं। मैं आूँखों से दखिा हूँ, कानों स सुनिा हूँ, मुख
                   े
                                                                           े


                                                      े
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               स बोलिा हूँ और भोजन खािा हूँ, प् स पचने क कारण शस्क्ि र प्राप्ि करिा हूँ और परों
                                                                                                     ै
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               स चलिा हूँ। इसललए आप सभी श्रषठ ह। आप सभी मर पप्रय ह।
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                                                      ैं
                                                 े
                                                                     े


                                                                      0000
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