Page 1 - CH- MADHABASYA PRIYA ANGAM (LIT) LN
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SAI International School
Class- VI
nd
Sub -Sanskrit(2 language)
Ekk/koL; fiz; vaxe~
Paragraph-1
माधवनामकः एकः बालकः ------------------------------------- इति नयनं वदति ।
शब्दार्थ :-
स्वप्ने – सपने म।
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अङ्गातन – अंग ।
स्वशरीरस्य – अपने शरीर क ।
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परस्परम् – आपस म।
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अनुक्षणं – उसी समय ।
हस्िः- हाथ ।
पादः – पैर ।
आनयति – लािा ह।
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नयनं – नेत्र ।
द्रष्ुं शक्नोति – दख सकिा ह।
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सरलार्थ:- माधव नाम का एक बालक था। उसने सपने म अपने शरीर क अंग दखे। वे आपस म चचाा
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कर रह थे।
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पैर बोलिा ह-मैं श्रषठ हूँ। मर कारण माधव चलिा ह।
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हाथ उसी समय बोलिा ह-अर अर! मेर कारण माधव ललखिा ह, घर का काम करिा ह और वस्िुए
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लािा ह। अिः मैं ही श्रषठ हूँ।
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मर बबना माधव क ु छ भी दख सकिा ह क्या? ऐसा नेत्र बोलिा ह।
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Paragraph-2
कणाः स्स्मि क ृ त्वा कथयति – माधवः -------------------------------------------- अिः अहम् एव श्रषठः । मम
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शब्दार्थ :-
कणाः – कान ।
स्स्मिं – मुस्क ु राकर ।
पृषठि: – पीछ से।
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यानानाम् – वाहनों की ।