Page 2 - CH- MADHABASYA PRIYA ANGAM (LIT) LN
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िर्हा – िो |

               श्रुत्वा – सुनकर।
               अनुभवति – अनुभव करिा ह।
                                         ै
               झर््ति – िुरि ।
                           ं
               शृण्वन्िु – सुनो।
               साहाय्यन – सहायिा से ।
                      े
               उदरम् – पे् को ।

               सबला :- बलवान ।
               भवन्िः – आप सब ।

                                                                                ै
                                                  ै
                                                                        ें
               सरलार्थ:- कान मुस्काराकर कहिा ह – माधव, जब रास्िे म जािा ह िब पीछ से वाहनों की
                                                                                         े
                                                                                                  े
                                    ै
                           ं
                                                                                      ै
               आवाज नही सुनिा ह और सावधान नही होिा ह िो दुघा्ना हो सकिी ह। माधव मर कारण
                                                       ं
                                                                                                 े
                                                              ै
                           े
                                 े
                                                                 ं
                                                         ै
               ही लशक्षक क उपदश सुनकर ज्ञान बढािा ह और सगीि सुनकर आनन्द का अनुभव करिा
               ह।
                 ै
                                                                                        ै
               िुरि मुख बोलिा ह – ” अर ! सभी सुनो, माधव मेर कारण भोजन करिा ह, बोलिा ह, लशक्षक
                  ं
                                                                  े
                                  ै
                                                                                                  ै
                                          े
                                  े
                                       ै
                                                                                          ै
               क प्रश्न का उत्तर दिा ह । मेरी सहायिा से पे् को भी भोजन प्राप्ि होिा ह। आप सभी
                 े
               बलवान ह। अिः मैं ही श्रषठ हूँ।
                                        े
                         ैं



               Paragraph-3
               उदर स चयति ‘भविु भविु, कोलाहलं न -------------------------------------- भवन्िः सवेऽपप मम पप्रयाः ।
                   ं


               शब्दार्थः-
               भविु – ठीक ह।
                             ै
               बोधयति – समझािा ह।
                                   ै
               उपकारकाणण – सहायिा करने वाले ।
               कोलाहलम् – शोर ।
               पृच्छामः – प छि ह।
                              े
                                ैं
               नयनाभ्याम् – आूँखों से ।
               पश्यालम – दखिा हूँ।
                          े

               कणाभ्याम्  – कानों से।
                   ा
               शृणोलम – सुनिा हूँ।

               पादाभ्याम् – पैरों से।
               भाषणं करोलम – बोलिा हूँ।

               सरलार्थ:- पे् बोलिा ह “ठीक ह, ठीक ह, शोर मि करो। हम सब माधव स ही प छिे ह, कौन
                                                                                                   ैं
                                              ै
                                      ै
                                                                                       े
                                                      ै
               श्रषठ ह ।”
                 े
                      ै
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