Page 4 - LN-Agnipath
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श दाथ  -



               अ ु - आँसू



                वेद - पसीना


               र  - खून, शोिणत



               लथपथ - सना  आ



                ा या - किव मनु य  को स देश देते  ए कहता है  क जब कोई मनु य  कसी क ठन रा ते से



               होते  ए अपनी मंिजल क  ओर आगे बढ़ता है तो उसका वह संघष   देखने यो य होता है अथा त



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               दूसर  क िलए  ेरणा दायक होता है। किव कहता है  क अपनी मंिजल पर वही मनु य प ँच

                                            ू
                                                                                  े

               पाते ह जो आँसू, पसीने और खन से सने  ए अथा त कड़ी मेहनत कर क आगे बढ़ते ह  ।

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