Page 2 - LN-Agnipath
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ह रवंश राय ब न अनेक वष तक इलाहाबाद िव िव ालय क अं ेज़ी िवभाग म ा यापक
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रहे । कछ समय क िलए ह रवंश राय ब न आकाशवाणी क सािहि यक काय म से जुड़ रहे ।
फर 1955 ई. म वह िवदेश मं ालय म िह दी िवशेष होकर द ली चले गये ।
पाठ ा या - (अि पथ)
अि पथ ! अि पथ ! अि पथ !
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वृ ह भले खड़,
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ह घने, ह बड़,
एक प छाँह भी माँग मत, माँग मत, माँग मत!
अि पथ! अि पथ! अि पथ!
श दाथ -
अि पथ - क ठनाइय से भरा आ माग ,
एक प - एक प ा, जरा-सा
छाँह – छाया, सहयोग, आ य
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ा या - किव मनु य को स देश दता है क जीवन म जब कभी क ठन समय आता है तो यह
समझ लेना चािहए क यही क ठन समय तु हारी असली परी ा का है। ऐसे समय म हो सकता
है क तु हारी मदद क िलए कई हाथ आगे आए, जो हर तरह से तु हारी मदद क िलए स म हो
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ले कन हमेशा यह याद रखना चािहए क य द तु हे जीवन म सफल होना है तो कभी भी कसी