Page 2 - Microsoft Word - TOPIC- 3 YATAYU ---NOTES
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ोक: -3
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अथ - इसक बाद सोए ए जटायु न उस श द को सुना तथा रावण को देखकर और उसने शी ही
वैदेही (सीता) को देखा |
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श दाथा : - तम् – उसको , श दम् – श द को अवसु : - सोए ए , त – तो ,
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रावणम् – रावण को , ि म् – शी , जटायु: - जटायु न , अथ – इसक बाद ,श ुवे – सुना , िन र य
– देखकर , वैदेहीम् – सीता को , ददश – देखा |
ोक: -4
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अथ - उसक बाद (तव) पव त िशखर क तरह शोभा वाले ,ितखे च च वाले , पर ि थत, शोभा यु
पि य म उ म (जटायु ) न सु दर वाणी म कहा |
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श दाथा : - तत: - उसक बाद , पव त ुंगाभ: - पव त क चो ट क तरह शोभावाले , खगो म: - पि य
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म उ म , िगरम् – वाणी को , वन पितगत: - पर ि थत , ीमन - शोभा यु , ाजहार – बोला
(कहा) , शुभाम् – सु दर |
ोक: -5
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अथ - पराई नारी (पर ी) क पश दोष से तुम् आपनी नीच बुि (नीच िवचार ) को हटा लो , युं क
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बुि मान( धेय शाली ) मन य को वह आचरण नह करना चिहए , िजससे क दूसर लोग उसक िन दा
(बुराई) कर |
श दाथा : - िनवतय - हटा लो , मितम् - बुि /िवचार को , नीचाम् –नीच (गंदी) परदारा-- पराई
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नारी /- पराई ी क , अिभमश नात - पश दोष से , अ य – इसक , तत – वह (उस तरह का ) ,
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समाचरत - आचरण करना चिहए , धीर:- बुि मान ( धेय शाली ) को, यत – जो (िजसे), पर: -
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दूसर लोग, िवगह येत - िन दा (बुराई) कर |