Page 2 - Microsoft Word - TOPIC-3 ARYABHATTA Notes
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                                                   ै
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                    सरलाथ : ससार म यह िदखाई दता ह िक सय पव िदशा म उदय होता ह और पि म िदशा म अ
                                                                                    ै
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                                                                                          ृ

                                                                           ू
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                                                                        ै
                                                       ै
                    होता ह पर  इसस यह नहीं जाना जाता ह िक सय गितशील ह। सय अचल ह और प ी चलायमान
                     ै
                                 ु
                                        ू
                                                                 ँ
                                             ै
                                                                                   ै
                    ह। जो अपनी धरी पर घमती ह यह इस समय भली-भाित  थािपत िस ा  ह। इस िस ा  को
                                                              े
                                                                                        े

                                                                                                     ै
                                                                                           ृ
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                                                      ्

                    सव थम िज ोंन  ार  िकया, वह महान गिणत क  ाता और  ोितषी आयभट थ। प ी   थर ह,
                            े
                                                                                  े
                                                                े
                    पर रा स चली आ रही इस  था (धारणा) का उ ोंन ख न िकया। उ ोंन उदाहरण िदया िक चलती
                                                             ु
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                                                                                 े
                                                                                            ु
                     ई नाव म बठा  आ मन  नाव को  की  ई अनभव करता ह और दसर पदाथ  (व ओं) को
                                                                                            ु
                                                                              ृ
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                                                                         ु
                    गितशील समझता ह। इसी तरह ही गित य  प ी पर   थत मन  प ी को   थर अनभव करता ह          ै

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                                                       ै
                    और सय आिद  हों को गितशील जानता ह।
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                                               ्

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                                                                                                      े

                                                                    े
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                    (ख)  476  तम  ि  ा   (षटस  िधकचतःशततम  वष)  आयभटः  ज   ल वािनित  तनव
                                                                                  े
                                                                                                  े
                                                                                          ं
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                                                                               ं
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                                        ्
                    िवरिचत  ‘आयभटीयम’  इ   न      उ   खतम।    ोऽय  तन   योिवशिततम  वयिस

                                                                    ं
                                                                   ु
                                                      े
                                                                                                       ्
                                                          ्
                                                                                         े
                    िवरिचतः।  ऐितहािसक ोतोिभः   ायत  यत  पाटिलप   िनकषा  आयभट   वधशाला  आसीत।
                                                                                        ु
                                                                                           े
                                                                                                       ्

                                                                         ू
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                    अनन      इदम  ्   अनमीयत   े    यत  ्  त        कमभिमः      पाटिलप मव        आसीत।


                                                                     ्
                                                                                                  ्

                                                                                      े
                                                                                  े
                                               ्
                                    े
                    श ाथ : ि  ा -ई ी म। षटस ितः-िछह र। ल वान-िलया। िवरिचत-रच  ए। इ   न-(इित+

                                                                                                 ै
                                                                       ु
                          ्

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                                                            ै
                                              ्

                    अ  न) इस (म)। उ   खतम-उ ख िकया ह। वयिस-आय म, अव था म। िवरिचतः-रचा ह।
                                                    ै
                                                                     े
                                                                                             े
                                  े
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                     ोतोिभः- ोतों स।  ायत-जाना जाता ह। िनकषा-िनकट। वधशाला- ह, न  ों को जानन की
                                  ु
                                                     ै
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                     योगशाला। अनमीयत-अनमान िकया ह। कमभिमः-कम   । आसीत-थी।


                                                                                े




                                ्



                    सरलाथ : सन 476व ई ीय वष म (चार सौ िछह रव वष म) आयभट न ज  िलया, यह उ ोंन         े
                        े

                                               ्
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                                                                    े
                                                                                            े

                                                                                              े

                    अपन  ारा ही िलख ‘आयभटीयम’ नामक इस    म उ ख िकया ह। यह    उ ोंन तईसव वष

                                                                                         ु
                                                                              ै
                           ु
                                                     े
                                                                                                   े
                                                                 ै
                    की आय म रचा था। ऐितहािसक  ोतों स जाना जाता ह (पता चलता ह) िक पाटिलप  (पटना) क
                                                                        े

                                                  े
                                                                               ु
                                                                                              ै
                    िनकट आयभट की न  ों को जानन की  योगशाला थी। इसस यह अनमान िकया जाता ह िक उनका
                                  ु

                         े
                    काय   पाटिलप  (पटना) ही था।

                                                                       े
                                                                                      ्
                                                                 ं
                                                                                                ं

                                                                               ं
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                    (ग)  आयभट   योगदान  गिणत ोितषा  स    वतत  य   स ानाम  आकलन  मह म                     ्
                                                            े
                                                                                                     ृ

                    आदधाित।  आयभटः  फिलत ोितषशा   न  िव िसित   ।  गिणतीयप  ा  कतम                        ्
                                                                                                 ्
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                                                             े
                                ृ
                                                    ं
                                                                     ु
                                                                   े
                    आकलनमाध  एव तन  ितपािदत यद ्   हण रा कतनामको दानवौ ना   कारणम। त  त                  ु
                                                           ू
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                                                                              ृ
                    सयच पिथवी इित  ीिण एव कारणािन। सय प रतः  म ाः पिथ ाः, च   प र मापथन
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